रस का स्वरूप :- “सत्त्वोद्रेकादखण्डस्वप्रकाशानंदचिन्मयः वेद्यान्तरस्पर्शशून्यः ब्रहमानंदसहोदरः। लोकोत्तरचमत्कारप्राणः कैश्चिद् प्रभातृभिः। स्वाकारवद भिन्नत्वेनायमास्वाद्यते रसः।।" यहाँ 'सत्त्वोद्रेकाद' इस पद से हेतु का…
राजस्थानी भाषा, जिसे अपभ्रंश की जेठी बेटी कहा जाता है, एक अद्वितीय भाषा है जो भारतीय साहित्य और संस्कृति का…
बड़े भाई साहब कभी कॉपी और कभी किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तसवीरें बनाया करते और कभी-कभी…
भक्तिकाल की विशेषताएं: भक्तिकाल हिंदी साहित्य का महत्वपूर्ण काल है। इस काल का साहित्य विशिष्ट साहित्य है। साहित्य के इतिहास…
नयी कविता में गाँधी दर्शन को चरितार्थ करने वाले अत्यन्त सादगीपसन्द, प्रकृति के चतुर चितेरे, कविवर भवानीप्रसाद मिश्र का साहित्यिक…
वाक्य के अंग वाक्य के दो अंग होते हैं- 1. उद्देश्य 2. विधेय। वाक्य उद्देश्य- वाक्य में जिसके बारे में…
रात के चौकीदार के बारे में:- रात के चौकीदार का काम बहुत जिम्मेदारी का होता है। चोर-बदमाश रात का फायदा…
आषाढ़ का एक दिन का आलोचनात्मक मूल्यांकन:- "आषाढ़ का एक दिन" नाटक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया है, परन्तु…
स्थायी भाव- सहृदय के हृदय में जो भाव स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं उन्हें स्थायी भाव कहते हैं। प्रत्येक…
महाकाव्य किसे कहते हैं:- श्रव्य काव्यान्तर्गत ऐसे दीर्घ प्रबंध को महाकाव्य कहते हैं जिसमें उत्कृष्ट गुण-सम्पन्न किसी नायक के घटना…