हम जिन देशों में लोकतंत्र होने की बात करते हैं वहाँ सभी लोग शासन नहीं करते। सभी लोगों की तरफ से बहुमत को फैसले लेने का अधिकार होता है और यह बहुमत भी स्वयं शासन नहीं चलाता। बहुमत का शासन भी चुने हुए प्रतिनिधियों के माधयम से होता है। यह जरूरी हो जाता है क्योंकि आधानिक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में इतने अधिक लोग होते हैं कि हर बात के लिए सबको साथ बैठाकर सामूहिक फैसला कर पाना सम्भव ही नहीं हो सकता। अगर यह सम्भव हो तब भी हर एक नागरिक के पास हर फैसले में भाग लेने का समय, इच्छा या योग्यता और कौशल नहीं होता। इसमें हमें लोकतंत्र की स्पष्ट लेकिन नयूनतम जरूरी समझ मिलती है। इस स्पष्टता से हमें लोकतांत्रिक और अलोकतांत्रिक सरकारों में अन्तर करने में मदद मिलती है। लेकिन इससे हमें एक सामान्य लोकतंत्र और एक अच्छे लोकतंत्र के बीच अन्तर करने की क्षमता नहीं मिल जाती। लोकतांत्रिक फैसले का अर्थ होता है, उस फैसले से प्रभावित होने वाले सभी लोगों के साथ विचार-विमर्श के बाद और उनकी स्वीस्रति से फैसले लेना। यह बात सरकार या परिवार पर भी लागू होती है और किसी अन्य संगठन पर भी। इस प्रकार लोकतंत्र एक ऐसा सिद्धान्त है जिसका प्रयोग जीवन के किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। आज की दुनिया में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का सबसे आम रूप है। लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माधयम से शासन चलाना। लोकतांत्रिक व्यवस्था सभी नागरिकों की सक्रिय भागीदारी पर ही निर्भर करती है। वर्तमान में लोकतंत्र का सबसे आमरूप है प्रतिनिधित्व वाला लोकतंत्र।