मोहन राकेश द्वारा लिखित नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ एक सुगठित, यथार्थवादी नाटक है। इस नाटक में बाह्य एवं आन्तरिक अन्तद्वन्द्व को बहुत सुन्दर ढंग से उकेरा गया है। कालिदास पर्वतीय प्रदेश का वासी है। इसी पर्वतीय प्रदेश में कालिदास की प्रेमिका मल्लिका अपनी माँ अम्बिका के साथ रहती है। उसका पालन पोषण उसके मामा मातल ने किया है।
कालिदास के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:-
संवेदनशील व्यक्ति – कालिदास एक संवेदनशील व्यक्ति है। उसकी संवेदनशीलता का पता उस समय लगता है, जब वह एक घायल हरिणशावक को बाँहों में लिए मल्लिका के घर प्रवेश करता है – “न जाने इसके रुई जैसे कोमल शरीर पर उससे बाण छोड़ते बना कैसे ? यह कुलांच भरता मेरी गोद में आ गया। मैंने कहा, तुझे वहाँ ले चलता हूँ जहाँ तुझे अपनी माँ की-सी आँखें और उसका-सा ही स्नेह मिलेगा।”
भावुक कवि – कालिदास ने अपने मन के भावों को अपनी रचनाओं में बड़ी कोमलता से व्यक्त किया है। तभी तो उनकी रचना
‘ऋतुसंहार’ को पढ़कर उज्जयिनी के सम्राट ने उन्हें राजकवि के सम्मान से सम्मानित करने का निश्चय किया हैं। पर कालिदास – “मैं राजकीय मुद्राओं से क्रीत होने के लिए नहीं हूँ।” कहकर ग्राम प्रदेश को छोड़कर नहीं जाना चाहते हैं।
ग्राम पुरुष निक्षेप भी कालिदास के लिए कहता है – “कालिदास अपनी भावुकता में भूल रहे हैं कि इस अवसर का तिरस्कार करके वे बहुत कुछ खो बैठेंगे। योग्यता एक चौथाई व्यक्तित्व का निर्माण करती है। शेष पूर्ति प्रतिष्ठा द्वारा होती है।”
सरल हृदय – कालिदास मल्लिका से प्रेम तो करता है पर उससे विवाह करके अपनी जिम्मेदारियों को निभाना नहीं चाहता। मल्लिका के कहने पर उज्जयिनी चला जाता है। वहाँ जाकर राज-दुहिता प्रियंगुमंजरी से विवाह करके राजकार्य सँभालने लगता है। मन-ही-मन मल्लिका को चाहता है अत: सरल हृदय कालिदास यदा-कदा राज-दुहिता के सामने मल्लिका तथा पर्वत-प्रदेश के प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन करके अपना मन हल्का कर लेता।
कमजोर इरादों का व्यक्ति – कालिदास के इरादे दृढ़ नहीं हैं। प्रियंगुमंजरी के कहने पर जब वह काश्मीर जाते समय अपने पर्वतीय प्रदेश में जाता है, तो इस भय के कारण कि “तुम्हारी आँखें मेरे अस्थिर मन को और अस्थिर कर देंगी।” मल्लिका से मिलने ही नहीं जाता। राज-कार्य की जिम्मेदारियाँ भी वह उचित ढंग से नहीं निभा पाता। काश्मीर से डरकर काशी भाग जाता है। और यह खबर फैला देता है कि उसने संन्यास ले लिया है।
स्वार्थी – कालिदास बहुत स्वार्थी किस्म का व्यक्ति है। वह अपना ही हित देखता है। जब सब तरफ से निराश होकर उसी ग्राम-प्रान्तर में मल्लिका के पास आता है, तो उम्मीद करता है कि इतने वर्षों बाद भी वह उसे उसी रूप में मिलेगी। वह चाहता था कि अब भी वह उसी प्रकार प्रेम और बारिश में भीगी हुई उसे मिले। वह मल्लिका को पुराने दिनों की याद दिलाना चाहता है। वह मल्लिका से कहता है कि मैंने जो कुछ लिखा है वह यहाँ के जीवन का ही संचय था। “कुमारसम्भव की पृष्ठभूमि यह हिमालय है और तपस्विनी उमा तुम हो। ‘मेघदूत’ के यक्ष की पीड़ा मेरी पीड़ा है और विरहविमर्दिता यक्षिणी तुम हो। ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ में शकुन्तला के रूप में तुम ही मेरे सामने थीं।” वह अपने प्रेम को अथ से आरम्भ करना चाहता है पर बच्ची के कुनमुनाने व विलोम से विवाह होने की बात पता लगते ही वह वहाँ से चला जाता है। अन्त में हम कह सकते हैं कि कालिदास एक कमजोर विचारों वाला, स्वार्थी व्यक्ति था। माता-पिता विहीन बालक किस प्रकार डरपोक बन सकता है, यह उसके चरित्र द्वारा लक्षित होता है।