राजनांदगांव रियासत में सी.पी कॉटन मिल्स की स्थापना के समय वहां के शासक कौन थे

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      राजनांदगांव रियासत में सी.पी कॉटन मिल्स की स्थापना के समय वहां के राजा बलरामदास मिल के संचालक बोर्ड के अध्यक्ष  थे

      इस मिल की स्थापना 23 जून, 1890 में राजनांदगाँव रेलवे स्टेशन के समीप की गई थी. आरम्भ में इसका नाम सी. पी. मिल्स था. मिल द्वारा उत्पादन कार्य नवम्बर 1894 में प्रारम्भ हुआ.

      राजनांदगाँव रियासत के शासक राजा बलरामदास मिल के संचालक बोर्ड के अध्यक्ष थे. इसके निर्माता बम्बई के मि. जे. वी. मैकवेथ थे.

      कुछ समय पश्चात् मिल को हानि हुई, फलस्वरूप 1897 में इसे कलकत्ता के मि. शॉवालीश कम्पनी ने खरीदा जिसने इसका नाम बदलकर बंगाल नागपुर कॉटन मिल्स कर दिया.

      छत्तीसगढ़ में मजदूर आन्दोलन का एकमात्र केन्द्र राजनांदगाँव का बंगाल नागपुर कॉटन मिल्स था, क्योंकि अंचल में तत्कालीन समय में केवल एक ही बड़ा औद्योगिक उपक्रम था, जिसमें बड़े पैमाने पर श्रमिक कार्य करते थे.

      ब्रिटिश काल में शोषण जीवन के प्रत्येक पहलू में आम बात थी. स्वाभाविकतः उपक्रम में कार्यरत् श्रमिकों का शोषण इसके स्वामियों द्वारा किया जाता रहा. फलस्वरूप मजदूरों के असन्तोष ने इस मिल में आन्दोलन की पृष्ठभूमि तैयार कर दी.

      इस आन्दोलन में केन्द्रीय भूमिका ठाकुर प्यारेलाल सिंह की थी, जिन्होंने इस क्षेत्र में सहकारिता को जन्म दिया और स्वतन्त्रता आन्दोलन में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित की.

      इस कार्य में उनके सहयोगी थे – शिवलाल मास्टर और शंकर खरे. ठाकुर साहब ने क्षेत्र में एक संगठित श्रमिक आन्दोलन का सूत्रपात किया, जो सफल तो रहा ही, साथ ही इसने स्वतन्त्रता आन्दोलन को अंचल में तेज किया.

      औद्योगिकी श्रमिकों के हितों की रक्षा हेतु ठाकुर साहब ने ऐसे समय में आवाज उठाई थी, जब देश में श्रमिक आन्दोलन अपने आरम्भिक चरण में था.

      उनकी इस उल्लेखनीय सफलता के कारण ठाकुर साहब की गणना देश के गिने-चुने लोगों में की जाती है. मजदूर आन्दोलन की चर्चा के पूर्व इस कपड़ा मिल के विषय में जान लेना आवश्यक है.

       

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