उत्तर प्रदेश और मध्य प्रान्त के कुछ भागों में लार्ड वेलेजली द्वारा लागू व्यवस्था को महालवाड़ी व्यवस्था कहा जाता है।
महाल का शाब्दिक अर्थ है गाँव के प्रतिनिधि अर्थात् जमींदार या जिनके पास अधिक भूमि होती थी अर्थात् जमींदारों के साथ सामूहिक रूप से लागू की गई व्यवस्था।
गाँवों को एक महाल माना जाता था। इसमें राजस्व जमा करने का काम मुकद्दम प्रधान, किसी बड़े रैयत को दिया जा सकता था। ये सरकार को राजस्व एकत्रित कर सम्पूर्ण भूमि (गाँव) का कर देते थे। समय के साथ-साथ इसका राजस्व कर बढ़ा दिया जाता था।
जैसे कि 1803-04 में इन प्रान्तों से 188 लाख रु. एकत्रित किये गये। आगे चलकर यही राजस्व कर 1817-18 में बढ़ाकर 297 लाख कर दिया गया।