क्रांतिकारी हनुमान सिंह ने किस ब्रिटिश अधीक्षक की हत्या की थी

  • Post
Viewing 0 reply threads
  • उत्तर
      क्रांतिकारी हनुमान सिंह ने तृतीय रेजीमेंट का फौजी अफसर सार्जेंट मेजर सिडवेल की हत्या की थी

      1857 के गदर की बात है । देश के अन्य हिस्सों की तरह छत्तीसगढ़ में भी गदर की आग सुलग रही थी।

      इसी दौरान 10 दिसंबर, 1857 की घटना ने आग में घी का काम किया। इस दिन रायपुर शहर के बीच जयस्तंभ चौक पर क्रांतिकारी वीर नारायण सिंह को फाँसी दे दी

      गई।

      रायपुर में उस समय अंग्रेजों की फौजी छावनी थी, जिसे ‘तीसरी देशी इंफेंट्री’ के नाम से जाना जाता था। उसमें 35 वर्षीय हनुमान सिंह शस्त्रागार लश्कर के तौर पर पदस्थ थे।

      क्रांतिकारी वीर नारायण सिंह की फाँसी ने उन्हें विचलित कर दिया। हनुमान सिंह ने नारायण सिंह को फाँसी पर लटकाए जाने का बदला लेने की प्रतिज्ञा की ।

      उन्होंने छत्तीसगढ़ में अंग्रेजों को पंगु बनाने के लिए अंग्रेज अधिकारियों की हत्या की सोची ।रायपुर में तृतीय रेजीमेंट का फौजी अफसर सार्जेंट मेजर सिडवेल था ।

      18 जनवरी, 1858 को सायं साढ़े सात बजे हनुमान सिंह अपने साथ दो सैनिकों को लेकर सिडवेल के बँगले में घुस गए और तलवार से सिडवेल पर घातक प्रहार किए। सिडवेल वहीं ढेर हो गया।

      इसके बाद हनुमान सिंह ने अपने सत्रह साथियों के साथ कारतूस इकट्ठे किए और छावनी में तैनात हो गए। दुर्भाग्यवश फौज के सभी सिपाही उसके आवाह्न पर आगे नहीं आए। इसी बीच सिडवेल की हत्या का समाचार पूरी छावनी में फैल गया।

      सैन्य विद्रोह की खबर लेफ्टिनेंट रॉट और लेफ्टीनेंट लूसी स्मिथ को मिली तो वे अन्य सैनिकों के साथ छावनी की ओर बढ़े। हनुमान सिंह और उसके साथियों को चारों ओर से घेर लिया गया।

      हनुमान सिंह और उनके साथी छह घंटे तक अंग्रेजों से लोहा लेते रहे। किंतु धीरे-धीरे उनके कारतूस समाप्त हो गए। अवसर पाकर हनुमान सिंह फरार होने में सफल हो गए, किंतु उनके 17 साथियों को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया, जिन पर बाद में मुकदमा चला।

      22 जनवरी, 1858 को हनुमान सिंह के 17 साथी — गाजी खान, अब्दुल हयात, मल्लू, शिवनारायण, पन्नालाल, मातादीन, ठाकुर सिंह, बल्ली दुबे, लल्लासिंह, बुद्धू सिंह, परमानंद, शोभाराम, दुर्गा प्रसाद, नजर मोहम्मद, देवीदान, शिव गोविंद और अकबर हुसैन को सार्वजनिक रूप से फाँसी दे

      हनुमान सिंह को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 500 रुपए के इनाम की घोषणा की गई, लेकिन हनुमान सिंह की कोई सूचना नहीं मिली। वीर हनुमान सिंह का जन्म 1823 में हुआ। वे राजपूत थे। उनकी मृत्यु की कोई जानकारी नहीं है।

       

Viewing 0 reply threads
  • You must be logged in to reply to this topic.