गांवों में जाति व्यवस्था :- जाति-व्यवस्था भारत की अति प्राचीन सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था है। स्वाभाविक है कि भारत जैसे परम्परागत समाज…
लोकतंत्र का वृहत्तर अर्थ समझाइये लोकतंत्र, जो एक राजनीतिक तंत्र है, वह एक ऐसा प्रणाली है जो लोगों को शासन…
आसन:- पतंजलि ने स्थिर तथा सुखपूर्वक बैठने की क्रिया को आसन कहा है। आसन को योग साधना की तैयारी में…
प्रत्येग सामाजिक वर्ग में वर्ग-चेतना कुछ-न-कुछ मात्रा में अवश्य ही रहती है। वर्ग चेतना वह स्थायी भाव ( sentiment) है…
आज दिन-प्रतिदिन समाज में भ्रष्टाचार बढ़ता ही जा रहा है। आज लोक जीवन में भ्रष्टाचार से शायद ही कोई वर्ग…
सुभेद्य (Vulnerable) जातियाँ- सुभेद्य जातियों से आशय उन जातियों से हैं जिनकी संख्या घट रही है। ये जातियाँ वर्तमान समय…
जनसंख्या वृद्धि से आशय-दो समय बिन्दुओं के मध्य किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों की संख्या में परिवर्तन को…
मद्यपान वह स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति शराब पीने का आदी हो जाता है। इसके फलस्वरूप वैयक्तिक एवं सामाजिक विघटन…
डॉ. आबेडकर ने वर्ण व्यवस्था तथा जातिप्रथा का गभीरता से अध्ययन किया था। उन्होंने गांधी से कहा भी कि “हमें…
समानता के दो/तीन/चार प्रकार निम्नलिखित है :- 1) सामाजिक समानता- सामाजिक समानता का अर्थ है प्रत्येक व्यक्ति को समाज में…