‘स्वतंत्रता संग्राम’ भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण और उत्कृष्ट अध्यायों में से एक है इस विषय में कई महत्वपूर्ण घटनाएं और समयांकन दिए गए हैं, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्व को समझाने में मदद करते हैं।
- जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919): 13 अप्रैल, 1919 ई. को वैशाखी के दिन अमृतसर के जलियाँवाला बाग में हत्याकांड हुआ था। अमृतसर के जलियाँवाला बाग में पंजाब के दो लोकप्रिय नेता डा. सत्यपाल एवं सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में लोग एकत्रित हुए थे। इस निहत्थी भीड़ पर जनरल आर. डायर ने गोली चलाने का आदेश दे दिया। इस हत्याकांड में सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 379 व्यक्ति मारे गए और 1200 लोग घायल हुए। जलियांवाला बाग हमला एक अत्यंत दुखद घटना थी जिसमें ब्रिटिश सेना ने अमैटी भारतीय जनता की बेज़ुबान मासूम लोगों पर निर्दय अत्याचार किया। इसने जनता में देशभक्ति और आंदोलन के लिए एक स्वर उठाया।
- नमक सत्याग्रह (1930): दांडी मार्च जिसे नमक सत्याग्रह भी कहा जाता है। इसे 12 मार्च, 1930 ई. को महात्मा गाँधी द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक पर कर लगाने के कानून के विरुद्ध शुरू किया गया था। इस सविनय अवज्ञा आंदोलन में गांधी जी समेत 78 लोगों द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्र तटीय गाँव दाण्डी तक लगभग 241 मील की पैदल यात्रा करके 6 अप्रैल, 1930 ई. को नमक विरोधी कानून को भंग किया गया था। नमक सत्याग्रह भारतीय जनता के ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण आंदोलन था, जिसमें गांधीजी ने नमक की उत्पादन और वितरण पर आंदोलन किया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विशाल जनसमर्थन उत्पन्न किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा बदलाव लाया।
- सैन्य आंदोलन (1857): 23 जनवरी, 1857 ई. को कलकत्ता के समीप डमडम में चर्बी वाले कारतूसों के विरोध में सैनिकों ने खुले तौर पर विद्रोह कर दिया और छः दिन बाद बैरकपुर में परेड मैदान में मंगल पाण्डे ने एक अंग्रेज एडजूटेन्ट को काट डाला। 9 मई ने को मेरठ की भारतीय सेना द्वारा भी विद्रोह किया गया और दिल्ली की ओर प्रयाण किया गया। इसके बाद विद्रोह लखनऊ, कानपुर, रुहेलखण्ड, मध्य भारत, बुन्देलखण्ड में फैल गया। 1857 ई. का विद्रोह सिपाहियों की बगावत से आरम्भ हुआ था लेकिन इसने जन क्रान्ति का स्वरूप धारण कर लिया था। इस विद्रोह के कारण तथा परिणाम दूरगामी थे ।
- क्रिप्स कमीशन (1942): द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों की स्थिति बिगड़ती जा रही थी तब ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने भारतीयों से सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से एक सद्भावना मंडल भारत भेजा जिसके अध्यक्ष सर स्टेफर्ड क्रिप्स थे। 22 मार्च, 1942 को ‘क्रिप्स मिशन’ भारत पहुँचा। चूँकि इस आयोग के अध्यक्ष सर स्टेफर्ड क्रिप्स थे अत: यह क्रिप्स मिशन के नाम से जाना जाता है। क्रिप्स कमीशन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता की मांगें निर्धारित की, जो भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।
- क्विट इंडिया आंदोलन/भारत छोड़ो आंदोलन (1942): भारत छोड़ो आन्दोलन सन् 1942 में महात्मा गाँधी द्वारा प्रारम्भ किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के कारण आवश्यक वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही थीं। इन बढ़ती कीमतों के कारण जनता बहुत त्रस्त थी। इसी समय भारतीयों की मदद के उद्देश्य से क्रिप्स मिशन भारत आया किन्तु इसका वास्तविक उद्देश्य था भारत में अंग्रेजों द्वारा स्वशासन स्थापित करना। इसे गाँधीजी व अन्य लोगों द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया तथा यह बात स्पष्ट हो गई कि सरकार कोई भी कार्य भारतीयों के पक्ष में नहीं कर सकती। महात्मा गाँधी ने इस समय ऐसे आन्दोलन की आवश्यकता का अनुभव किया जो तीव्र हो । परिणामस्वरूप भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ किया गया। इस आन्दोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव हिलाकर रख दी। वकीलों, अध्यापकों सहित विभिन्न सरकारी लोगों ने इस आन्दोलन में हिस्सेदारी की।
इन घटनाओं ने स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्णता को समझाया और भारतीय जनता को आंदोलनों में जुटने के लिए प्रेरित किया, जो ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई में एकीकरण का माध्यम बना। इन आंदोलनों के माध्यम से भारतीय जनता ने आजादी की लड़ाई में अपना साहस और समर्थन दिखाया, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया।