भौतिक स्वरूप, भौतिक रचना तथा धरातल के स्वरूप के अनुसार भारत को पांच भौतिक भागों में बांटा गया है
(1) उत्तर पर्वतीय प्रदेश
(2) प्रायद्वीपीय पठार
(3) विशाल मैदान
(4) समुद्रतटीय मैदान
(5) द्वीपसमूह
(1) उत्तर पर्वतीय प्रदेश- उत्तर का पर्वतीय प्रदेश भारत में लगभग 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी लम्बाई लगभग 2,400 किमी. है। पश्चिम में इसकी चौड़ाई 500 किमी. है, जबकि यह लगभग 200 किमी. चौड़ा है। इस पर्वतीय प्रदेश में तीन प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं स्थित हैं-
(i) हिमालय पर्वत श्रेणी
(ii) ट्रांस हिमालय
(iii) पूर्वांचल की पहाड़ियां
(i)हिमालय पर्वत श्रेणी :- यह विश्व की नवीनतम वलित पर्वत श्रेणी है। इसकी लम्बाई लगभग 5,000 किमी. है। इसकी औसत चौड़ाई 240 किमी. है। हिमालय पर्वत श्रेणी को तीन भागों में बांटा गया है:-
अ) महान या बृहत हिमालय :- इसकी औसत ऊंचाई 6,000 मी. है।
यह पूर्व में सिन्धु नदी के गॉर्ज से लेकर पश्चिम में ब्रह्मपुत्र नदी के गॉर्ज तक फैली हुई है।
महान हिमालय के कुछ महत्वपूर्ण दर्रे – बुर्जिल एवं जोजीला (जम्मू-कश्मीर), बोमडीला (अरुणाचल प्रदेश), शिपकीला, बारालाचाला (हिमाचल प्रदेश) हैं । हिमालय के सर्वोच्च शिखर जैसे-माउण्ट एवरेस्ट (8,848 मी.), कंचनजंघा (8,598मी) मकालू (8,481 मी.), धौलगिरि (8,172 मी) आदि बृहत हिमालय में स्थित है ।
ब)लघु हिमालय :- इसे हिमालय एवं मध्य हिमालय के नाम से भी जाना जाता है।
इसकी चौड़ाई ___80 से 100 किलोमीटर के बीच है।
इसकी सामान्य ऊंचाई 3700 से 4500 मी के मध्य है।
लघु हिमालय की कुछ महत्वपूर्ण श्रेणियां हैं
(i) पीरपंजाल श्रेणी (ii) धौलाधर श्रेणी (iii) नाग-टिबा श्रेणी (iv) महाभारत श्रेणी (v) मसूरी श्रेणी
स)शिवालिक हिमालय:- यह हिमालय की सबसे दक्षिणी श्रेणी है।
इसकी औसत ऊंचाई 1,000 मी. है।
यह श्रेणी पंजाब में पोटावार बेसिन से प्रारम्भ होकर पूर्व में कोसी नदी तक फैली हुई है।
इसकी औसत ऊंचाई 600 से 1500 मीटर के बीच है।
द) ट्रॉस हिमालय:- यह महान हिमालय के उत्तर में स्थित है।
इसमें कराकोरम, लद्दाख, जास्कर एवं कैलाश पर्वत श्रेणियां शामिल हैं।
भारत की सर्वोच्च चोटी गाडविन (K2) कराकोरम श्रेणी पर स्थित है।
इसकी ऊंचाई लगभग 8,611 मीटर है।
(2) प्रायद्वीपीय पठार :- यह भू-भाग उत्तर में गंगा-सतलुज से तथा शेष तीनों दिशाओं में घिरा है।
भ्रंश घाटी में बहने वाली नर्मदा इस पठार की मुख्य रूप से दो भागों में बांटतीहै- उत्तर में मालवा का पठार, दक्षिण में दक्कन का पठार।
दक्कन का पठार क्रिटेशियस-इओनिस युग में लावा निकलने से निर्मित है।
बेतवा, पार्वती, काली सिन्ध, माही आदि नदियां मालवा के पठार से होकर बहती हैं।
मालवा पठार के दक्षिण में विन्ध्य पठार स्थित है।
बुन्देलखण्ड पठार मालवा के उत्तर व उत्तर पूर्व में स्थित है।
इसके पूर्व में छोटा नागपुर का पठार है जिसका सबसे बड़ा भाग रांची का है।
यहां खनिजों की भरमार है।
इसे भारत का रुपए क्षेत्र कहा जाता है।
गोदावरी नदी इसे दो भागों में विभक्त करती हैं-तेलंगाना का पठार व कर्नाटक का पठार।
इसकी उत्तरी सीमा ताप्ती नदी बनाती है।
मालवा का पठार लावा निर्मित है।
इसका ढाल गंगा नदी की ओर है।
उस पर बेतवा, नीवज, चम्बल व माही नदियां प्रवाहित होती हैं।
बुन्देलखण्ड का पठार प्राचीनतम बुन्देलखण्ड नीस शैलों से निर्मित है।
इस पठार पर चम्बल एवं यमुना नदियों द्वारा बड़े-बड़े खड्डों, बीहड़ों का निर्माण किया गया है।
बुन्देलखण्ड का पठार विन्ध्यन श्रेणी के पूर्व में अवस्थित है।
यह बलुआ पत्थर, चूना पत्थर एवं ग्रेनाइट से निर्मित है।
इसके उत्तर में सोनपुर एवं दक्षिण में रामगढ़ की पहाड़ियां स्थित हैं।
इसकी औसत ऊंचाई 700 मीटर है। यह पठार खनिज संसाधन एवं वन संसाधन की दृष्टि से काफी धनी है।
दक्कन का पठार लगभग 5 लाख किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
यह भारत में सबसे बड़ा पठार है।
इसके अन्तर्गत महाराष्ट्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश राज्यों के भू-भाग आते हैं।
3) विशाल मैदान:- भारत का विशाल मैदान विश्व का सबसे अधिक उपजाऊ व घनी आबादी वाला भू-भाग कहलाता है।
इस विशाल मैदान का निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाए गए निक्षेपों से हुआ इसकी मोटाई गंगा के मैदान में सबसे ज्यादा व पश्चिम में सबसे कम है।
इसे सिन्धु गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भी कहा जाता है।
इसका निर्माण हिमालय की उत्पत्ति के बाद हुआ।
यह पंजाब से लेकर नागालैण्ड की सीमा तक लगभग 2400 किमी. की लम्बाई में फैला हुआ है।
इसकी चौड़ाई 100 से लेकर 500 किमी. के बीच है।
यह पश्चिम में अधिक चौड़ा तथा पूर्व की ओर कम चौड़ा है।
इसकी अधिकतम ऊंचाई सामान्यत: 250 मी. से कम है।
इसकी पश्चिमी सीमा राजस्थान मरुभूमि में विलीन हो गई है।
संरचात्मक विशेषताओं व ढाल के आधार पर इस विशाल मैदान को चार अग्रवत् भागों में बांटा गया है
अ) भाबर प्रदेश-हिमालयी नदियों द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों से टकर गिरे पत्थरों-कंकड़ों को लाने से बना मैदान भाबर कहलाता है। इसमें पानी धरातल पर नहीं ठहरता है।
ब) तराई प्रदेश-भाबर से निचले भाग में तराई प्रदेश फैला है। यह निम्न समतल मैदान है जहां नदियों का पानी इधर-उधर बहकर दल-दली क्षेत्रों का निर्माण करता है।
स) बागर प्रदेश-यह पुराने जलोढ़ से निर्मित मैदान है। इसमें कुछ कंकड़ भी पाए जाते हैं। यहां बाढ़ का पानी सामान्यत: नहीं पहुंच पाता है।
द) खादर प्रदेश यह नवीन जलोढ़ से निर्मित अपेक्षाकृत नीचा प्रदेश है। यहां नदियों के बाढ़ का पानी लगभग प्रतिवर्ष पहुंचता रहता है एवं नई मिट्टी का निक्षेप होता रहता है।
4) समुद्र तटीय मैदान :- इस मैदान को पश्चिमी तटीय मैदान और पूर्वी तटीय मैदान में विभाजित किया जाता है।
अ) पश्चिमी तटीय मैदान – इस मैदान का विस्तार सूरत से लेकर कन्याकुमारी तक है। इस मैदान को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है|
गुजरात
कोंकण
मालाबार
कन्नड़
कन्नड़ तटीय मैदान सर्वाधिक संकरा है। मालाबार तट पर लैगूनों की अधिकता है।
ब) पूर्वी तटीय मैदान – यह मैदान स्वर्णरेखा नदी से लेकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। यह मैदान पश्चिमी तटीय मैदान की तुलना में अधिक चौड़ा है।इस मैदान को उत्तर से दक्षिण उत्कल, उत्तरी सरकार व कोरोमण्डल तट में
विभाजित किया जाता है।
5) द्वीपसमूह :- भारत में द्वीपों की कुल संख्या लगभग 247 है, जिनमें से 204 बंगाल की खाड़ी में एवं शेष अरब सागर एवं मन्नार की खाड़ी में स्थित हैं।
अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह – यह द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी में स्थित है।
अण्डमान समूह में 204 द्वीप हैं, जिसमें मध्य अण्डमान सबसे बड़ा है।
उत्तरी अण्डमान में स्थित सैडल पीक सबसे ऊंची चोटी है।
निकोबार समूह में 19 द्वीप हैं जिनमें ग्रेट निकोबार सबसे बड़ा है।
बैरन एवं नारकोण्डम ज्वालामुखी द्वीप हैं जो अण्डमान निकोबार द्वीपसमूह में स्थित है।
10 डिग्री चैनल लिटिल अण्डमान एवं कार निकोबार के बीच है।
यह अण्डमान को निकोबार से अलग करता है।
लक्षद्वीप समूह – लक्षद्वीप अरब सागर में स्थित है।
इस समूह में 25 द्वीप हैं।
ये सभी मूंगे के द्वीप हैं।
मिनीकॉय, लक्षद्वीप द्वीपसमूह का सबसे बड़ा द्वीप है।
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