देश का पहला राज्य बिहार है जिसने हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया.
हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति – ‘हिन्दी’ शब्द की व्युत्पत्ति भारत के उत्तर-पश्चिम में प्रवहमान सिंधु नदी से संबंधित है। अधिकांश विदेशी यात्री और आक्रमणकारी उत्तर-पश्चिम से ही भारत आए। भारत में आनेवाले इन विदेशियों ने जिस देश के दर्शन किए वह ‘सिंधु’ का देश था। ईरान के साथ भारत के बहुत प्राचीन काल से ही संबंध थे और ईरानी ‘सिंधु’ को ‘हिन्दु’ कहते थे। सिंधु-हिन्दु, स का ह में तथा ध का द में परिवर्तन । ‘हिन्दु’ से ‘हिन्द’ बना और फिर ‘हिन्द’ में फारसी भाषा के संबंध कारक प्रत्यय ‘ई’ लगने से ‘हिन्दी’ बन गया। ‘हिन्दी’ का अर्थ है-‘हिन्द का’ ।। इस प्रकार हिन्दी शब्द की उत्पत्ति हिन्द देश के निवासियों के अर्थ में हुई। आगे चलकर यह शब्द ‘हिन्द की भाषा’ के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा
हिन्दी का विकास क्रम – संस्कृत→पालि-प्राकृत-अपभ्रंश→अवहट्ट-प्राचीन/प्रारंभिक,हिन्दी
हिन्दी की आदि जननी संस्कृत है। संस्कृत पालि, प्राकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश तक पहुँचती है। फिर अपभ्रंश, अवहट्ट से गुजरती हुई प्राचीन/प्रारंभिक हिन्दी का रूप लेती दि है। सामान्यतः, हिन्दी भाषा के इतिहास का आरंभ अपभ्रंश
से माना जाता है ।
संघ की राजभाषा- संविधान सभा ने लम्बी चर्चा के बाद आखिरकार 14 सितम्बर सन् 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया। हालांकि शुरू में हिंदी और अंग्रेजी दोनो को को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया और संविधान सभा ने देवनागरी लिपि वाली हिंदी के साथ ही अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया , लेकिन वह 14 सितंबर 1949 का दिन था । जब संविधान सभा ने हिंदी को ही भारत की राजभाषा घोषित किया.
हिंदी का देश की राजभाषा घोषित किए जाने के दिन ही हर साल हिंदी दिवस मनाने का भी फैसला किया गया. वैसे पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया. ध्यातव्य है कि भारतीय संविधान में राष्ट्रभाषा का उल्लेख नहीं है इसके बाद संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा के सम्बन्ध में व्यवस्था की गयी ।
कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेद
अनुच्छेद 343 –
343(1) संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी ।
343(2) इस संविधान के प्रारंभ से 15 वर्ष की अवधि तक (अर्थात् 1965 तक) उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा, जिनके लिए पहले प्रयोग किया जा रहा था।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की भाषा
अनुच्छेद 348:SC और HC में और संसद व राज्य विधान मंडल में विधेयकों, अधिनियमों आदि के लिए प्रयोग की जानेवाली । भाषा (उपबंध होने तक अंग्रेजी जारी)
अनुच्छेद 349: भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया (राजभाषा संबंधी कोई भी विधेयक।
राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के बिना पेश नहीं की जा सकती और राष्ट्रपति भी आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के बाद ही मंजूरी दे सकेगा ।
अनुच्छेद 351: हिन्दी के विकास के लिए निदेश
संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिन्दी भाषा का प्रसार बढाए, उसका विकास करे जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके। और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिन्दुस्तानी में और 8वीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदावली को आत्मसात करते हुए जहाँ आवश्यक या वांछनीय हो वहाँ उसके शब्द-भंडार के लिए मुख्यतः संस्कृत से और गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करें।
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