अधिकार छोड़ देने के बाद अधिकारी लिप्सा बार-बार सताती है इस कथन के संदर्भ में बिंबिसार का चरित्र चित्रण :-
मगध का पहला महत्त्वपूर्ण शासक बिंबिसार (542-492 ई. पू.) था। वह छठी शताब्दी ई. पू. उत्तरार्ध में राजसिंहासन पर आसीन हुआ। बिबिसार हर्यक वंश से संबंधित था। उसने लगातार आक्रमणों द्वारा मगध के विस्तार का जो सिलसिला आरंभ किया, वह चौथी शताब्दी ई. पू. में अशोक की कलिंग विजय के साथ जाकर रुका।
पर्याप्त राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने के बाद और समकालीन राजनीतिक परिदृश्य का जायजा लेने के बाद मगध साम्राज्य ने अपने विस्तार के लिए तीन सूत्री नीति अपनाई:
(क) विवाह संबंधों के माध्यम से अपनी राजनीतिक स्थिति सुदृढ़ की।
(ख) समकालीन शक्तिशाली राजाओं से व्यक्तिगत मित्रता बढ़ाई।
(ग) कमजोर पड़ोसियों पर विजय के लिए सैन्य अभियान भेजे गए।
मगध साम्राज्य द्वारा विवाह गठबंधनों द्वारा अपनी राजनीतिक स्थिति सुदृढ़ करने के कारण मगध सम्राट बिंबिसार की अनेक रानियाँ थी। बिंबिसार की पहली पत्नी कोसल के राजा प्रसेनजित की बहन थी। प्रसेनजित ने दहेज में बिंबिसार को काशी प्रदान किया। उसकी दूसरी पत्नी चेल्हना वैशाली की लिच्छवि राजकुमारी थी। तीसरी पत्नी मद्र के राजा की बेटी थी। चौथी पत्नी का नाम वैदेही वसवी था।
बिंबिसार ने शक्तिशाली राजाओं से मैत्री-संबंध भी स्थापित किए। मगध का सबसे शक्तिशाली प्रतिद्वद्वी अवति था। अवंति के राजा चंड प्रद्योत ने बिंबिसार के विरुद्ध युद्ध किया। लेकिन अंत में दोनों राजाओं ने मित्रता स्थापित करने में भलाई समझी। बाद में एक बार जब प्रद्योत पीलिया से पीड़ित हुआ तो बिंबिसार के निजी चिकित्सक जीवक ने प्रद्योत का सफलतापूर्वक इलाज किया। यह भी कहा जाता है कि बिंबिसार के पास गंधार के राजा द्वारा पत्र के साथ राजदूत को भेजा गया था। प्रद्योत गंधार के राजा से एक युद्ध में हार चुका था। इस प्रकार छठी शताब्दी ई. पू. में बिंबिसार ने अपने विजय अभियानों और कूटनीति द्वारा मगध को सर्वोच्च शक्ति बना दिया।
अंग जैसे पड़ोसी देशों के विरुद्ध सैनिक अभियान भेजे गए। व्यापारिक मार्गों एवं बंदरगाहों के कारण अंग राज्य महत्त्वपूर्ण था। पश्चिमी बर्मा और अन्य क्षेत्रों से व्यापार के लिए इस क्षेत्र पर नियंत्रण करना आवश्यक था। अंग के विलय के बाद मगध आर्थिक रूप से और अधिक शक्तिशाली हो गया। इस प्रकार अंग राज्य का विलय और कोसल के राजा प्रसेनजित के काशी का दान मगध साम्राज्य के विस्तार के आधार बने। बिंबिसार पहला शासक था जिसने कुशल प्रशासनिक तंत्र पर बल दिया। वह अपने मंत्रियों के सलाह को नजरअंदाज नहीं करता था। विभिन्न अधिकारियों को उनके कार्य के अनुसार वर्गीकृत किया गया था और इस प्रकार एक व्यवस्थित प्रशासन की नींव तैयार की गई। सड़कों का निर्माण
अच्छे प्रशासन की पहचान माना जाने लगा। सामाजिक और आर्थिक रूप से आधारभूत इकाई ग्राम बना रहा। कृषि योग्य भूमि को मापने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की जाती थी। प्रत्येक ग्राम का एक मुखिया होता था।
बिंबिसार ने 50 वर्षों तक शासन किया। उसके बाद उसकी पुत्र अजातशत्रु (492-460 ई. पू.) शासक बना। वास्तव में अजातशत्रु ने सिंहासन प्राप्त करने के लिए पिता की हत्या की थी। अपने पिता से अलग नीति अपनाते हुए उसने राजनीतिक शक्ति बढ़ाने के लिए केवल सैन्य अभियानों का ही सहारा लिया। उसके शासन काल में कोसल के साथ लगातार मगध का टकराव होने लगा। अजातशत्रु कोसल के साथ चल रहे संघर्ष में सफल हुआ और कोसल के राजा को अपनी बेटी का विवाह अजातशत्रु के साथ करने को बाध्य होना पड़ा। इससे काशी पर अजातशत्रु का पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो गया।
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