साँवले सपनों की याद शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए

‘साँवले सपनों की याद’ के लेखक ने प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली की मौत के तुरंत बाद उत्पन्न हुई अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है।

सालिम अली पक्षी प्रेमी एवं प्रकृति से संबंध रखने वाले व्यक्ति थे।

इसमें उन्होंने लिखा है कि पता नहीं कृष्ण ने कब रासलीला रची होगी और गोपियों के साथ रास रचाया होगा।

जब इन्हीं खयालों में लेखक था तभी उसके सामने सालिम अली को अंतिम यात्रा के लिए ले जा रहे लोगों की भीड़ आ जाती है।

वे सालिम अली को प्रकृति में विलीन करने के लिए ले जा रहे थे जहाँ से कोई लौटकर नहीं आता ।

सालिम अली का गले में दूरबीन लटकाए हुए बिंब में लेखक खोया हुआ था कि अचानक शोर-गुल के कारण उसे होश आता है और वह अपने अंतर्मन की भावनाओं को व्यक्त करने लगता है, जिसे उसने शीर्षक दिया ‘साँवले सपनों की याद ।

लेखक कहता है कि अब तो सालिम अली तुम लौटकर नहीं आओगे। अब सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी यादें ही हैं, जिन्हें मैंने अपने लेख में अभिव्यक्त किया है।

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