शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य क्या है

शारीरिक शिक्षा क्या है (परिभाषा)
“शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से व्यक्ति का बहुमुखी विकास करने वाली विद्या ही शारीरिक शिक्षा है । ”
इसे और स्पष्ट करने के लिए कहा जा सकता है कि “शारीरिक शिक्षा शारीरिक क्रियाकलापों के माध्यम से बच्चे के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास कर शरीर, मन और आत्मा में पूर्णता लाती है। यह शारीरिक फिटनेस की दृष्टि से बच्चे के मानसिक, नैतिक एवं सामाजिक गुणों को इस प्रकार प्रशिक्षित करती है कि वह अपने माहौल के प्रति सजग रहते हुए अपनी सतर्कता विकसित करे व अपनी सुध-बुध रखे, अनुशासन, सहयोग, सहानुभूति एवं उदारता का परिचय दे ।”

शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य:-

शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य एक कुशल एवं योग्य नेतृत्व देना तथा ऐसी सुविधाएं प्रदान करना है जो किसी एक व्यक्ति या समुदाय को कार्य करने का अवसर दें और वे सभी क्रियाओं में शारीरिक रूप से सम्पूर्ण मानसिक रूप से उत्तेजक एवं सन्तोषजनक और सामाजिक रूप से निपुण हों।

(1) मानसिक विकास:- इसका उद्देश्य सामाजिक गुणों का विकास समबन्धत ही शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में ऐसी कई क्रियाएँ होनी चाहिए जो मस्तिष्क को जागरूक करे, ध्यान मग्न करे, और सही मापदंड दे।

(2) शारीरिक विकासः- शारीरिक संस्थानों जैसे रक्तसंचार श्वसन संस्थान, स्लायु-प्रणाली मांसपेशीय संस्थान और पाचन प्रणाली का विकास करती है।

(3) सामाजिक विकास:- इसका उद्देश्य सामाजिक गुणों का विकास से है जो कि जीवन में अच्छे समायोजन के लिए जरूरी है। यह सहयोग सम्मान, अच्छा खेल, संयम, खेलने की भावना, सांत्वना इत्यादि गुणों को सीखने में सहायक होता है।

(4) नाड़ी संस्थान तथा मांसपेशीय संस्थान में समन्वयः- इसका उद्देश्य नाड़ी संस्थान व मांसपेशीय संस्थान के मुख्य समन्वय स्थापित करने के लिए अवसर देती है।

(5) भावनात्मक विकास:- शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति का भावनात्मक विकास या संवेगात्मक विकास करना भी है। व्यक्ति में अनेक भावनाएं या संवेग होते है जैसे खुशी, आशा, ईष्या, घृणा डर दुखः क्रोध, आश्चर्य कामुकता तथा एकाकी आदि। इन संवेगो के ऊपर व्यक्ति का उचित नियंत्रण न हो तो वह असामान्य व अनियंत्रित हो जाता है।

(6) स्वास्थ्य का विकास:- यह व्यक्ति की स्वास्थ्य सम्बन्धी आदतों का विकास करती है। संक्रामक रोगो से बचाव भी यही शिक्षा प्रदान करती है।

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