वायु संहति वायु के उस विस्तृत भाग को कहते हैं जिसके अंदर तापमान और आर्द्रता की समान विशेषताएं पायी जाती हैं। इसमें विभिन्न ऊंचाई पर क्षैतिज रूप में तापमान तथा आर्द्रता सम्बन्धी लगभग समानताएं विद्यमान होती हैं। वायु संहतियाँ उद्भव क्षेत्र में अनेक दिनों तक स्थिर होने के बाद अपने जलवायविक लक्षणों का विकास करती हैं। वायु संहतियाँ आमतौर पर समुद्र, मरुस्थल या बर्फ से ढके मैदानों के उन क्षेत्रों में बनते हैं जहां हवाएं कमजोर और स्थिर हैं। एक बार उत्पन्न होने के बाद ये वायुराशियां आगे की ओर प्रवाहित होना शुरू कर देती हैं और अपने रास्ते में आने वाले क्षेत्रों को प्रभावित करती हैं।
वायु संहतियों को उसमें मौजूद तापमान तथा आर्द्रता संबंधि विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
उष्णकटिबंधीय वायु संहति गर्म होती हैं और ध्रुवीय वायु संहति ठंडे होती हैं। हवा गर्म या ठंडा ऊष्मा के स्थानांतरण प्रक्रिया के कारण होती है और यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है। विश्व के लगभग सभी क्षेत्र में पाई जाने वाली जलवायु वायु संहति से प्रभावित होती हैं।
महाद्वीपीय ध्रुवीय वायु राशि (CP) – इस वायुराशि का स्रोत क्षेत्र आर्कटिक बेसिन,उत्तरी अमेरिका का उत्तरी क्षेत्र, युरेशिया और अंटार्कटिका है। इस वायुराशि की विशेषता शुष्क, स्थिर और ठंडी है। सर्दियों के कारण मौसम, ठण्डा, साफ और स्थिर होता है।
उत्तरी अमेरिका का उत्तरी क्षेत्र, युरेशिया और अंटार्कटिका है। इस वायुराशि की विशेषता शुष्क, स्थिर और ठंडी है। सर्दियों के कारण मौसम, ठण्डा, साफ और स्थिर होता है। उष्ण महाद्वीपीय वायुराशि (CT) – इस वायुराशि का स्रोत अफ्रीका का सहारा मरुस्थल, पश्चिम एशिया और ऑस्ट्रेलिया में स्थित उष्णकटिबंधीय मरुस्थल है। ये वायुराशि शुष्क, गर्म और स्थिर हैं और इनकी उत्पत्ति इन्हीं क्षेत्रों में होती है।
समुद्री उष्णकटिबंधीय वायु राशियाँ – इस वायु राशि का स्रोत उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में स्थित महासागर है, जैसे-मैक्सिकों की खाड़ी, प्रशांत और अटलांटिक महासागर। ये वायुराशियां गर्म, आर्द्र और अस्थिर होती हैं।
समुद्री ध्रुवीय वायुराशियाँ – इस वायु राशि की उत्पत्ति 40° और 60° अक्षांशों के बीच दोनों गोलार्डों में स्थित महासागरों में होती है। ये वास्तव में महाद्वीपीय ध्रुवीय वायुराशियाँ होती हैं जो अपने प्रवाह के करण गर्म महासागर में चली गयी हैं और वहां की उष्णता भी ग्रहण कर लिये हैं और गर्म होकर महासागरों से नमी को ग्रहण कर लिया है। उत्पत्ति क्षेत्र पर स्थिति शांत. आई और अस्थिर है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जो एक समय के बाद अस्थिर हो जाते हैं। इसलिए वायुराशि विशेष रूप से समशीतोष्ण अक्षांशों में सूक्ष्म जलवायु परिवर्तनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।