रेशम के कीट शहतूत पौधे के पत्ते खाते हैं | इसका वृक्ष मध्यमाकार का होता है। पत्ते 2 से 5 इंच लम्बे एंव 2 से 4 इंच चौड़े होते हैं। फूल मंजरियों में आते हैं। इसकी तीन जातियाँ पाई जाती हैं। इनमें से एक के फल पीताभ श्वेत तथा मीठे होते हैं, एक का मधुर एवं अम्लीय (खट्टापन युक्त) होते हैं।
देखने में रक्ताभ काले रंग के होते हैं। शहतूत का वृक्ष बड़ा होता है। इसका फल दानेदार होता है और फली की भाँति नीचे की ओर लटका रहता है। इस वृक्ष के फल, फूल, पत्ते, पेड़ की छाल सब-के-सब दवाओं में काम आते हैं और मनुष्य के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं। इसकी तासीर शीतल होती है । अंग्रेजी में इसे ‘Mulberry’ कहते हैं ।
बिहार, बंगाल, आसाम, उत्तर प्रदेश आदि प्रांतों में यह स्वतः वन्य रूप में (जंगली) वनस्पति और रोगोपचार उत्पन्न होते हैं और बागों में लगाए भी जाते हैं। खासकर रेशम के कीड़े पालने वाले निश्चित रूप से इसे लगाते हैं क्योंकि रेशम के कीड़े शहतूत के पत्ते चाव से खाते हैं ।