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रेडियो रूपक किसे कहते हैं

रेडियो फीचर कार्यक्रम सूचनाओं और मनोरंजन का संगम है। इस कार्यक्रम में सूचनाओं को मनोरंजक रूप देकर प्रस्तुत किया जाता है। रेडियो फीचर को हिन्दी में रेडियो रूपक कहते है।

रेडियो कार्यक्रम के इस प्रारूप में तथ्यों और सूचनाओं को रोचकता, नाटकीयता और मनोरंजनपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया जाता है इसलिए यह एक बेहद लोकप्रिय कार्यक्रम है।

रेडियो रूपक वास्तविकता का नाटकीय प्रस्तुतिकरण है। हालांकि रेडियो नाटक में भी प्रस्तुतिकरण मनोरंजनात्मक रूप में होता है और रूपक व नाटक का संस्कृत में समानांतर अर्थ होता है, लेकिन कार्यक्रम प्रारूप के रूप में ये दोनों बिल्कुल अलग कार्यक्रम हैं।

रेडियो रूपक तथ्यों पर ही आधारित कार्यक्रम होता है इसलिए कल्पनाओं से काफी दर होता है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य श्रोताओं को मनोरंजन के माध्यम से किसी विषय के बारे में जागरूक करना होता है।

इस कार्यक्रम में श्रोता जानकारी के साथ-साथ मनोरंजन भी प्राप्त करते हैं। इसलिए इनमें मनोरंजन और शिक्षा का तालमेल बिठाना आवश्यक हो जाता है। हालांकि इस कार्यक्रम के निर्माण में जहां तथ्यों का प्रयोग किया जा सकता है वहीं तकनीकी रूप में उपलब्ध प्रसारण की सभी विधाओं का प्रयोग भी किया जा सकता है। इसलिए रेडियो रूपक के लेखक को शब्दों के साथ-साथ पृष्ठभूमि संगीत, ध्वनि प्रभाव व मौन का काफी प्रयोग करना चाहिए। रूपक में वातावरण को निर्मित करने में संगीत, ध्वनि प्रभाव व मौन का बहुत बड़ा योगदान होता है इसलिए रूपक लेखन में इनका विशेष उल्लेख करना चाहिए।

रेडियो रूपक आधुनिक रेडियो प्रस्तुतिकरण की विधा है। इसलिए इनमें मुख्यतः वे कार्यक्रम आते हैं जो तकनीकी रूप से नये प्रयोगों के माध्यम से तैयार किए जाते हैं।

रेडियो रूपक के प्रकार:- 
रेडियो पर प्रसारित होने वाले रूपकों के कई प्रकार होते हैं। विषय की विविधता के अनुसार रेडियो रूपक कई प्रकार के होते हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है

विकासात्मक- विकास पर आधारित कई रूपक रेडियो पर प्रसारित किए जाते हैं। विकास से सम्बन्धित जानकारी प्रदान करने के लिए इस प्रकार के रूपकों का निर्माण किया जाता है। भारत जैसे विकासशील देश में कई ऐसे विषय, मुद्दे या समस्याएं हैं जिनके बारे में श्रोताओं को जागरूक करना आवश्यक हो जाता है। इन्हीं पर आधारित कई रेडियो रूपक बनाए जाते हैं। साक्षरता, स्वच्छता, सामाजिक सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, रोजगार, स्वास्थ्य, सामाजिक सौहार्द, कृषि, बागबानी, पशुपालन व कैरिअर जैसे कई विषय हैं जिन पर विकासात्मक रूपक तैयार किए जाते हैं। कई सफलता की कहानियों को भी इन रूपकों में स्थान दिया जाता है। किसी योजना या सामाजिक कार्य में किसी व्यक्ति की कोई सफलता है तो उसकी कहानी को रूपक के रूप में श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किया जाता है।

घटना प्रधान रूपक- दैनिक जीवन में कई ऐसी घटनाएं घटित होती रहती है जिनका श्रोताओं के लिए बहुत महत्त्व होता है। इन घटनाओं पर आधारित रूपक प्रसारित किए जाते हैं। कई घटनाएं

ऐसी होती है जिनका ऐतिहासिक महत्त्व भी होता है उन घटनाओं के बारे में समय-समय पर रूपक प्रसारित किए जाते हैं। गणतन्त्र दिवस, स्वतन्त्रता संग्राम, कारगिल विजय दिवस, भारतीय परमाणु परीक्षण व संसद पर आतंकी हमला आदि बहुत से ऐसे घटनाक्रम हैं जिन पर साल दर साल रेडियो रूपक बनाए जाते हैं और श्रोताओं को उन घटनाओं के बारे में अवगत करवाया जाता है। घटनाओं को मनोरंजक रूप से प्रस्तुतिकरण इसलिए किया जाता है ताकि नीरसता से बचा जा सके और श्रोता कार्यक्रम को पूरा सुने।

व्यक्तिगत रूपक- इस प्रकार के रेडियो रूपक किसी महान, लोकप्रिय या प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे में जानकारी देते हैं। हमारे देश में कई ऐसी महान हस्तियां हैं जिनके जीवन के बारे में श्रोताओं को बताना आवश्यक होता है। व्यक्ति की जीवनगाथा, उनका संघर्ष, विचारधारा और उपलब्धियां श्रोताओं के लिए प्रेरणा का कार्य करते हैं। इसलिए रेडियो पर व्यक्ति प्रधान रूपक का प्रसारण किया जाता है। हमारे देश में महात्मा गांधी, भगत सिंह, सुभाषचन्द्र बोस जैसे स्वतन्त्रता सेनानी हुए हैं जिन पर समय समय पर रेडियो रूपक प्रसारित किए जाते हैं। इसके अब्दुल कलाम आजाद, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं के बारे में भी श्रोता जानना चाहते हैं इसलिए देश के लोकप्रिय नेताओं पर भी रेडियो रूपक बनाए जाते हैं। देश के प्रसिद्ध संगीतकार, गायक, अभिनेता व वैज्ञानिकों पर भी रेडियो रूपक प्रसारित होते रहते हैं। व्यक्तियों के जन्मदिवस या पुण्यतिथि पर व्यक्ति प्रधान रूपक का प्रसारण करने का आकाशवाणी में काफी चलन है। जिस भी महान व्यक्ति का जन्मदिवस या पुण्यतिथि होती है उसकी जीवनयात्रा, विचारों व उपलब्धियों के बारे में श्रोताओं को रूबरू करवाने के लिए रेडियो रूपक प्रसारित किए जाते हैं।

सांस्कृतिक रूपक- देश की सांस्कृतिक विविधता और सम्पन्नता से श्रोताओं को अवगत करवाने के लिए सांस्कतिक रूपकों का प्रसारण किया जाता है। देश के विभिन्न भागों में रहने वाले लोगों की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, लोक गीत, संगीत, लोकनृत्यों के बारे में श्रोताओं को रूबरू करवाने के लिए सांस्कृतिक रूपक बनाए जाते हैं। इसके अलावा देश के अलग-अलग भागों में समयसमय पर विभिन्न मेले लगते हैं, आयोजन होते हैं और उत्सव व त्यौहार मनाए जाते हैं। इन सबके बारे में श्रोताओं की विशेष रुचि रहती है इसलिए श्रोता सांस्कृतिक रूपकों को बहुत पसंद करते हैं। कई बार देशज खानपान के बारे में सांस्कृतिक रूपक तैयार किए जाते हैं। क्योंकि खानपान भी हमारी संस्कृति का एक अहम हिस्सा है, इसलिए किसी भी समाज के खानपान की शैली के बारे में श्रोताओं में जिज्ञासा रहती है। सांस्कृतिक रूपक में देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों के खानपान के बारे में भी रूपक तैयार किए जाते हैं।

विज्ञान रूपक- विज्ञान समाज के कई वर्गों के लिए आवश्यक होता है। विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान और विकास को जनता के सामने प्रस्तुत करने के लिए विज्ञान रूपक का प्रसारण किया जाता है। विज्ञान श्रोताओं के लिए रोचक विषय बने इसलिए विज्ञान विषय को रूपक के प्रारूप में प्रसारित किया जाता है। विज्ञान के विभिन्न प्रयोगों को केन्द्र में रखकर विज्ञान रूपक बनाए जाते हैं। देश में विकसित होती तकनीकों के बारे में श्रोता जानना चाहते हैं। इसके अलावा दुनिया  में विज्ञान से जुड़ी उपलब्धियों के बारे में भी श्रोताओं की जिज्ञासा बनी रहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए रेडियो चैनल विज्ञान रूपकों का प्रसारण करते हैं।

ऐतिहासिक विषय प्रधान रूपक- इतिहास से जुड़े विषयों पर इस प्रकार के रूपक बनाए जाते हैं। प्रत्येक समाज और देश का अपना एक इतिहास होता है जिसके बारे में लोगों को बताना बहत जरूरी होता है। हमारा स्वतन्त्रता संग्राम कैसा था. कैसे हमें आजादी मिली. विभिन्न कालखण्डों में प्रशासनिक व्यवस्था कैसी थी, ऐतिहासिक युद्ध कैसे लड़े गये और विभिन्न देशों को गठन कैसे हुआ इन सबके बारे में जानना बेहद आवश्यक होता है। इसलिए विभिन्न रेडियो चैनल ऐतिहासिक विषयों पर रूपक प्रसारित करते हैं। देश के अलावा दुनिया भर के ऐतिहासिक विषयों में भी श्रोताओं की रुचि होती है इसलिए रेडियो चैनल दुनिया भर के ऐतिहासिक विषयों पर रूपक तैयार करते हैं।

JAI YADAV

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