मेघालय शब्द गढ़ने का श्रेय डॉ.एस. पी.चटर्जी को दिया जाता है
डॉ.एस. पी.चटर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्राध्यापक थे।
डॉ.एस. पी.चटर्जी 1964 से 1968 तक अंतरराष्ट्रीय भूगोल संघ के अध्यक्ष भी रहे थे।
मेघालय शब्द का शब्दिक अर्थ है- मेघों का आलय या घर। यह संस्कृत मूल से निकला है।
इस नाम पर आरम्भ में इसके नाम पर काफ़ी विरोध हुआ, क्योंकि अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की भांति, जिनके नाम उनके निवासियों से संबंधित थे, जैसे मिजोरम: मिजो जनजाति, नागालैण्ड: नागा लोग, असम: असोम या अहोम लोग के नाम पर है; किन्तु मेघालय शब्द से स्थानीय गारो, खासी या जयंतिया जनजातियों का नाम कहीं सम्बन्धित नहीं होता है। लेकिन बाद में इसे अपना लिया गया ।
मेघालय की राजधानी शिलांग है। यह एक हरा-भरा पर्वतीय नगर है, जहाँ हर वक्त बादल उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं।
इतना बड़ा, स्वच्छ, सुंदर पर्वतीय नगर अपने उत्तर भारत में कहीं नहीं है। ऐसी हरीतिमा भी शायद ही कहीं देखने को मिले।
मेघालय तीन पर्वतीय अंचलों में बँटा हुआ है-खासी पर्वत, गारो पर्वत और जयंतिया पर्वत। इन्हीं तीन पर्वतीय अंचलों से बने हैं पाँच जिले-पूर्वी खासी पर्वत जिला, पश्चिमी खासी पर्वत जिला, पूर्वी गारो पर्वत जिला, पश्चिमी गारो पर्वत जिला और जयंतिया पर्वत जिला।
हर अंचल की अपनी अलग संस्कति. रीति-रिवाज और पर्व-उत्सव हैं, लेकिन हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था मातृसत्तात्मक है अर्थात् भूमि, धन, संपत्ति सब माँ से बेटी को मिलती है। मातृसत्तात्मक व्यवस्था होने के कारण यहाँ नारी-शोषण की वैसी घटनाएँ नहीं होती हैं, जैसी कि देश के अन्य से भागों में देखने-सुनने को मिलती हैं।
राज्य का लगभग 70% से अधिक भाग वनाच्छादित है, इन वनों को भरपूर वर्षा उपलब्ध रहती है और यहाँ प्रचुर मात्रा में वनस्पति एवं वन्य जीव अपनी विविधता के संग मिलते हैं।
मेघालय में मुख्य रूप से कृषि-आधारित है , यहाँ की मुख्य फसल में पपीता, चावल, मक्का, केला, आलू, मसाले एवं आदि हैं।