मानचित्र पर मापक प्रदर्शित करने की निम्नलिखित तीन विधियाँ हैं-
(1) साधारण कथन (Simple Statement ),
(2) प्रदर्शक भिन्न (Representative Fraction),
(3) आरेखी (Graphical) |
(1) साधारण कथन (Simple Statement ) – साधारण कथन से मानचित्र पर किन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य की दूरी तथा धरातल पर उन्हीं बिन्दुओं की वास्तविक दूरी के सम्बन्ध को साधारण कथन द्वारा व्यक्त किया जाता है। यथा 1 सेण्टीमीटर = 5 किलोमीटर। इसका तात्पर्य है कि मानचित्र का 1 सेण्टीमीटर धरातल के 5 किलोमीटर प्रदर्शित करता है।
(2) प्रदर्शक भिन्न (Representative Fraction) – प्रदर्शक भिन्न वह भिन्न है जिसके द्वारा मानचित्र के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की दूरी तथा धरातल पर उनकी वास्तविक दूरी के सम्बन्ध को एक अनुपात में प्रदर्शित किया जाता है। इस भिन्न का अंश सदैव 1 रहता है। भिन्न में अंश (Numerator) और हर (Denominator) सदैव एक इकाई के होते हैं। इसका अंश मानचित्र की दूरी तथा हर धरातल की दूरी को दर्शाता है। उदाहरणार्थ 1/30,000 प्रदर्शक भिन्न का तात्पर्य है कि मानचित्र का 1 सेण्टीमीटर धरातल के 30,000 सेण्टीमीटर प्रकट करता है। इसे अनुपात में भी दर्शाया जा सकता है यथा 1 30,000 प्रदर्शक भिन्न को उपलक्षक भिन्न तथा निरूपक भिन्न भी कहा जाता है।
(3) आरेखी विधि (Diagrammatic Method) — इस विधि में वितरण प्रदर्शित करने के लिए मानचित्र पर विभिन्न आरेखों का प्रयोग किया जाता है। इन मानचित्रों में बनी आकृतियों का सम्बन्ध वस्तु-विशेष के मानों (Values) से होता है। विभिन्न स्थानों के आँकड़ों को उन्हीं के स्थानों पर आरेखों की रचना कर प्रदर्शित किया जाता है। विभिन्न प्रकार के आँकड़ों के लिए अलग-अलग प्रकार के आरेखों का चयन किया जाता है, यथा- किसी प्रदेश में छोटे-बड़े नगरों की जनसंख्या को प्रदर्शित करने के लिए गोलाभ आरेख तथा भूमि उपयोग के आँकड़ों के लिए वृत्त आरेख, क्षेत्रफल के आँकड़ों के प्रदर्शन हेतु आयताकार आरेख आदि । वितरण मानचित्रों पर प्रदर्शित किये जाने वाले आरेखों के आनुपातिक चिन्हों की रचना करना आवश्यक होता है क्योंकि इनकी रचना किये बिना इन्हें मानचित्र पर दर्शाया जाना सम्भव नहीं है।