भारत में किस तरह जलवायु पायी जाती है

संपूर्ण भारत को जलवायु की दृष्टि से उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु वाला देश माना जाता है। इस दृष्टि से, भारत का मौसम विशेषत: जलवायु परिवर्तन एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जिसमें उष्णकटिबंधीय मानसून का एक अद्वितीय रूप है।

जलवायु का अध्ययन

किसी स्थान अथवा देश में लम्बे समय के तापमान, वर्षा, वायुमंडलीय दबाब तथा पवन, की दिशा व वेग का अध्ययन व विश्लेषण जलवायु कहलाता है। इस प्रकार, भारतीय मौसम की अद्वितीयता में मानसून का महत्वपूर्ण योगदान होता है, जिसे हम “मानसूनी जलवायु” कह सकते हैं।

भारतीय मानसून

भारत में उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु पायी जाती है। इसे अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी से चलने वाली हवाएं बनाती हैं। यहाँ, हम इस मानसूनी जलवायु की विशेषताएं देखेंगे:

  • मौसम का परिवर्तन: भारत में अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाओं का दिशा में परिवर्तन होता है, जिससे ऋतुओं में विशेष बदलाव होता है। इसी कारण हम इसे “मानसूनी जलवायु” कहते हैं।
  • वृष्टि की भरपूरता: इस मानसून के साथ आने वाली हवाओं के साथ ही वृष्टि की भरपूरता होती है, जिससे संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में हरियाली का आगमन होता है।
  • आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: मानसून का प्रभाव सिर्फ मौसम पर ही नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक प्रभावों को भी बोझित करता है। कृषि, उद्योग, और सामाजिक जीवन पर इसका सीधा प्रभाव होता है।

इस प्रकार, भारतीय मानसून ने अपनी अद्वितीय विशेषताओं के साथ भारत को एक जलवायु से समृद्धि प्रदान करने वाले देश के रूप में विकसित किया है। इसका अध्ययन हमें मौसम और जलवायु विज्ञान में एक नए पहलुओं का अध्ययन करने का अवसर प्रदान करता है।

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