संविधान उन लिखित और अलिखित नियमों का सम्मचय है जिसके द्वारा किसी देश की शासन व्यवस्था का संचालन किया जाता है।
भारत का संविधान एक संविधान सभा ने बनाया और संविधान को 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। इस संविधान की अपनी कुछ विशेषताएं हैं। जो निम्नलिखित हैं
(i) लिखित तथा विस्तृत संविधान- अमेरिका, रूस, स्विट्जरलैण्ड, साम्यवादी चीन, फ्रांस और जापान के संविधान की तरह भारत का संविधान लिखित तथा निर्मित है। संविधानसभा ने भारत का संविधान 2 वर्ष, 11 माह तथा 18 दिनों में बनाया और | इस संविधान को 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया।
(ii) प्रस्तावना- प्रत्येक अच्छे संविधान की तरह भारत के संविधान में भी प्रस्तावना दी गई है। इस प्रस्तावना में संविधान के। मुख्य लक्ष्यों, विचारधाराओं तथा राज्य के उत्तरदायित्वों का वर्णन किया गया है।
(iii) संपूर्ण प्रभुत्व- सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना- भारतीय संविधान में भारत को संपूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य घोषित किया है इसका अर्थ है कि भारत पूर्ण रूप से स्वतंत्र तथा सर्वोच्च सत्ताधारी है और किसी अन्य सत्ता के अधीन नहीं है।
भारत का लक्ष्य समाजवादी समाज की स्थापना करना है और भारत धर्म-निरपेक्ष राज्य है। यहां पर लोकतंत्रीय गणराज्य की स्थापना की गई है। राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मण्डल द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए होता है।
(iv) जनता का अपना संविधान- भारत के संविधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह जनता का अपना संविधान है और इसे जनता ने स्वयं अपनी इच्छा से अपने ऊपर लागू किया है। यद्यपि |
हमारे संविधान में आयरलैंड के संविधान की तरह कोई अनुच्छेद ऐसा नहीं है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय संविधान को जनता ने स्वयं बनाया है, परंतु इस बात की पुष्टि संविधान की प्रस्तावना करती है
” हम भारत के लोग, भारत में एक संपूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य स्थापित करते हैं। अपनी इस संविधान सभा में |26 नवम्बर, 1949 ई. को इस संविधान को अपनाते हैं।” |
(v) अनेक स्त्रोतों से तैयार किया हुआ संविधान- हमारे संविधान की यह भी एक विशेषता है कि इसमें अन्य देशों के संविधानों के अच्छे सिद्धान्तों का गुणों को सम्मिलित किया गया है।
(vi) संविधान की सर्वोच्चता- भारतीय संविधान की एक अन्य विशेषता यह है कि यह देश का सर्वोच्च कानून है। कोई कानून या आदेश उसके विरुद्ध जारी नहीं किया जा सकता।
(vii) धर्म-निरपेक्ष राज्य- भारत के संविधान के अनुसार भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है। 42वें संशोधन द्वारा प्रस्ताव में धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़कर स्पष्ट रूप से भारत को धर्म निरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है।
धर्म निरपेक्ष राज्य का अर्थ है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है और राज्य की दृष्टि में सभी धर्म समान है।
(xiii) द्वि-सदनीय विधानमण्डल- हमारे संविधान की एक अन्य विशेषता यह है कि इसके द्वारा केन्द्र में द्वि-सदनीय विधान मण्डल की स्थापना की गई है।
संसद के निम्न सदन को लोकसभा तथा उच्च सदन को राज्यसभा कहा जाता है। लोकसभा की शक्तियाँ और अधिकार राज्यसभा की शक्तियों और अधिकारों से अधिक हैं।
(ix) मौलिक अधिकार– भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि संविधान के तीसरे भाग में भारतीयों को 6 मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं। ये अधिकार हैं
(1) समानता का अधिकार,
(2) स्वतंत्रता का अधिकार,
(3) धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार
(4) सांस्कृतिक तथा शिक्षा का सम्बन्धि अधिकार
(5) शोषण के विरुद्ध तथा
(6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(x ) मौलिक कर्त्तव्य- 42वें संशोधन द्वारा संविधान में मौलिक कर्तव्यों के नाम पर चतुर्थ भाग -ए शामिल किया गया है। इसमें नागरिकों के दस कर्त्तव्यों का वर्णन किया गया है। वर्तमान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या ।। है।
(xi) स्वतंत्र न्यायपालिका– भारत के संविधान में स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। भारत के संविधान में उन सभी बातों का वर्णन किया गया है जो स्वतंत्र न्यायपालिका के लिए आवश्यक है।
(xii) न्यायिक पुनर्निरीक्षण- न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अर्थ हैसर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय संसद द्वारा बनाये गये कानूनों तथा राज्य विधानमण्डलों के बनाये हए कानूनों की संवैधानिक जांच पड़ताल कर सकते हैं और यदि कानून संविधान के विरुद्ध हो तो उसे अवैध घोषित कर सकते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित किया गया कोई भी कानून, अध्यादेश, आदेश या संधि अवैध मानी जाती है और सरकार उसे लागू नहीं कर सकती। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने इस अधिकार का प्रयोग कई बार किया है।
(xiii) इकहरी नागरिकता- भारत में नागरिकों को एक ही नागरिकता प्राप्त है। सभी नागरिक चाहे वे किसी भी राज्य के हों, भारत के नागरिक हैं। नागरिकों को अपने राज्य की नागरिकता प्राप्त नहीं है।
(xiv) वयस्क मताधिकार- भारत के संविधान की एक अन्य विशेषता वयस्क मताधिकार है। संविधान के अन्तर्गत प्रत्येक नागरिक को, जिसकी आयु अठारह वर्ष अथवा इससे अधिक हो, बिना किसी भेद-भाव के वोट डालने का अधिकार प्राप्त है।
(xv) संयुक्त चुनाव प्रणाली- सांप्रदायिक चुनाव प्रणाली को समाप्त करके संयुक्त चुनाव प्रणाली की व्यवस्था की गयी है। अब सभी सम्प्रदायों के लोग मिल-जुल कर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं।
(xvi) कानून का शासन- भारत के संविधान की यह भी विशेषता है कि इसके द्वारा कानून के शासन की स्थापना की गई है। कानून के सम्मुख सभी नागरिक समान हैं, कोई भी व्यक्ति कानून से। ऊपर नहीं है।
अमीर-गरीब, पढ़े-लिखे तथा अनपढ़, शक्तिशाली तथा। कमजोर सभी कानून के सामने समान हैं।
(xvii) कल्याणकारी राज्य- संविधान निर्माताओं ने कल्याणकारी राज्य का लक्ष्य रखा है जिसका वर्णन उद्देश्य प्रस्ताव, संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकार तथा राजनीति के निर्देशक सिद्धान्तों को पढ़ कर यह स्पष्ट हो जाता है कि संविधान निर्माताओं का उद्देश्य भारत में एक ऐसा कल्याणकारी राज्य स्थापित करना था जिसमें व्यक्ति के लिए आर्थिक, राजनीतिक तथा सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था की जा सके।
निष्कर्ष- उपर्युक्त विशेषतओं के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह संविधान में एक अनूठा संविधान है।
न्यायाधीश पी.वी. मुखर्जी के अनुसार, “यद्यपि हमारे संविधान ने विश्व के संवैधानिक प्रयोगों से बहुत-सी बातों को लिया है, केवल यही नहीं, बल्कि अपने चरित्र और समन्वय में यह अनूठा संविधान है।”