बड़े भाई की डाँट फटकार अगर न मिलती तो संभव था, छोटा भाई कक्षा में अव्वल नहीं आता। यह सही है कि छोटा भाई पढ़ने में होशियार था और पढ़ने-लिखने के साथ खेल – कूद पर भी ध्यान देता था। यह दूसरी बात थी कि बड़े भाई उसे भी किताबी कीड़ा बनने की नसीहत देते थे। बड़े भाई साहब की डाँट-फटकार के कारण ही संभवतः छोटा भाई अपने दरजे में अव्वल आता था, क्योंकि उसे पता होता था कि असफल होने पर प्राणांत डाँट फटकार सुननी पड़ सकती है, अतः वह परीक्षा के समय अधिक परिश्रम तथा सचेतन रूप से पढ़ाई करता था। छोटे भाई को बड़े भाई की फटकार यदि नहीं मिलती, तो हो सकता था कि छोटे भाई को परीक्षा में अव्वल आने की कोई प्रेरणा नहीं मिलती।