प्रश्नावली तैयार करना एक विशिष्ट कला है। एक उत्तम प्रश्नावली तैयार करने के लिए उच्चकोटि की योग्यता, दक्षता एवं अनुभव की आवश्यकता होती है। प्रश्नावली तैयार करते समय निम्नलिखित सावधानियां रखनी चाहिए:-
1. अनुसन्धान के उद्देश्य का स्पष्टीकरण – अनुसन्धानकर्ता को अपना परिचय देना चाहिए और अनुसन्धान का उद्देश्य स्पष्ट कर देना चाहिए।
2. प्रश्नों की संख्या- जहाँ तक सम्भव हो, प्रश्नों की संख्या कम रखनी चाहिए। प्रश्नों की संख्या कितनी हो, इसका कोई आधारभूत सिद्धान्त नहीं है। प्रश्न इतने कम भी नहीं होने चाहिए कि पर्याप्त सूचनाएँ ही प्राप्त न हो सकें। इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि अनावश्यक प्रश्नों का समावेश न हो पाये।
3. प्रश्नों की प्रकृति— प्रश्न सरल, स्पष्ट एवं सूक्ष्म होने चाहिए। प्रश्न लम्बे, जटिल व बहुअर्थी नहीं होने चाहिए। प्रश्न ऐसे होने चाहिए जिनके उत्तर कुछ सीमित रूप में ही दिये जा सकते हैं। अनिश्चितता उत्पन्न करने वाले शब्दों, जैसे-शायद, प्रायः तथा कभी-कभी का प्रयोग कदापि नहीं करना चाहिए।
प्रश्नों के उत्तर तीन प्रकार से प्राप्त किये जा सकते हैं
(i) हाँ या नहीं, गलत या सही आदि के रूप में। उदाहरण के लिए, “क्या तुम्हारे पास कार है ?” प्रश्न का उत्तर हाँ या नहीं में दिया जा सकता है।
(ii) प्रश्नों के कई सम्भव उत्तर प्रश्नावली में दिये जाते हैं और सूचक को उनमें से किसी एक को चुनना होता है, जैसे—आप अपने कार्य-स्थल तक कैसे जाते हैं ?
प्रश्न के सम्भावित उत्तर निम्न प्रकार हो सकते हैं(अ) निजी वाहन से, (ब) बस या किराये के वाहन से, (स) रेलगाड़ी से, (द) पैदल, (य) निवास स्थान तथा कार्य-स्थल एक ही स्थान पर हैं। (iii) विशिष्ट जानकारी देने वाले प्रश्नों अथवा खुले प्रश्नों के उत्तर सूचकों से उनके अपने शब्दों में प्राप्त किये जाते हैं।
4. प्रश्नों का क्रम – प्रश्नों को उचित क्रम में रखा जाना चाहिए। उचित क्रम से सूचकों को उत्तर देने में सुविधा होती है। जैसे—क्या आप विवाहित हैं ? आपके कितने बच्चे हैं ? कितने लड़के और लड़कियाँ हैं? का क्रम उपर्युक्त प्रकार होना चाहिए, न कि आपके कितने लड़के और कितनी लड़कियाँ हैं ? क्या आप विवाहित हैं ? आपके कितने बच्चे हैं ? एक विषय से सम्बन्धित प्रश्न साथ-साथ होने चाहिए। ऐसा न हो कि एक विषय पर प्रश्न पूछकर अन्य विषय से सम्बन्धित प्रश्न पूछा जाय और उसके पश्चात् फिर पूर्व विषय से सम्बन्धित प्रश्न पूछा जाय।
5. वर्जित प्रश्न—सूचकों के आत्म-सम्मान और उनकी धार्मिक व सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले प्रश्न नहीं होने चाहिए। ऐसे प्रश्न भी प्रश्नावली में शामिल नहीं किये जाने चाहिए जो उनके निजी मामलों से सम्बन्धित हों। यदि आवश्यक हो तो चरित्र, आय, बीमारी आदि से सम्बन्धित प्रश्नों को परोक्ष ढंग से पूछने का प्रबन्ध करना चाहिए। विवादास्पद प्रश्नों को भी सूची में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। अविश्वास, सन्देह आदि उत्पन्न करने वाले प्रश्नों के भी विश्वसनीय उत्तर प्राप्त नहीं होते हैं।
6. प्रश्नों की भाषा–प्रश्नों की भाषा तथा शैली मधुर व सम्मानजनक होनी चाहिए। जहाँ तक सम्भव हो, तकनीकी, दिखावटी तथा कम व्यवहार में आने वाले शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। भाषा ऐसी होनी चाहिए जिसे सूचक आसानी से समझ सकें।
7. क्रॉस जाँच–प्रश्नावली में ऐसे प्रश्नों का समावेश भी होना चाहिए जिनके उत्तरों की सत्यता की परस्पर जाँच की जा सके।
8. प्रश्नावली भरने सम्बन्धी आवश्यक निर्देश- प्रश्नावली भरने के सम्बन्ध में आवश्यक निर्देश मूल प्रश्नावली में ही देना अधिक श्रेष्ठ होता है। निर्देश स्पष्ट एवं कम होने चाहिए। यदि प्रश्नावली सूचकों द्वारा भरी जानी है तो उनके लिए निर्देश और यदि प्रगणकों द्वारा भरी जानी है तो उनको उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। यदि प्रश्नावली डाक द्वारा भेजी जाती है तो उसे लौटाने का पता, डाक टिकट आदि के बारे में स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिए। प्रश्नावली के साथ एक निवेदन-पत्र भी लगाया जा सकता है।
9. प्रश्नावली की बाहा आकृति—प्रश्नावली के गठन में विशेष सावधानी रखनी चाहिए। उत्तर लिखने के लिए पर्याप्त स्थान छोड़ना चाहिए। प्रश्नावली आकर्षक होनी चाहिए। कागज चिकना तथा मजबूत होना चाहिए। प्रश्नावली का आकार न तो बहुत छोटा और न बहुत बड़ा होना चाहिए।
10. सूचकों की योग्यता – प्रश्नों की सूची बनाते समय सूचकों की योग्यता का ध्यान रखना भी आवश्यक है, जैसे—प्रत्येक व्यक्ति अपना रक्तचाप नहीं बता सकता है।
11. पूर्व परीक्षा व संशोधन – प्रश्नावली बनाने के बाद एक बार कुछ सूचकों से विभिन्न प्रश्नों का पहले ही परीक्षण कर लेना आवश्यक है। फिर अनुभव तथा कठिनाइयों के आधार पर प्रश्नावली में आवश्यकतानुसार संशोधन कर लेना चाहिए।
अनुसन्धान की सफलता प्रश्नावली के गुणों पर निर्भर होती है अत: प्रश्नावली तैयार करने में उपर्युक्त सावधानियाँ रखी जानी चाहियें |