पूर्ति की लोच एक व्यापक आर्थिक अवधारणा है जो वस्तुओं या सेवाओं की कीमत में परिवर्तन का माप है और इससे उनकी आपूर्ति पर कैसा प्रभाव पड़ता है। इसे आपूर्ति और मांग के सम्बन्ध में समझा जाता है, जिसमें किसी वस्तु या सेवा की उपलब्धता और उसकी मांग के बीच संतुलन का मूल्यांकन किया जाता है।
पूर्ति की लोच का मापन:
पूर्ति की लोच एक वस्तु की मांग और उपलब्धता में होने वाले परिवर्तन को मापने का एक तरीका है। यदि किसी वस्तु की मांग अधिक होती है और उसका उपलब्धान कम है, तो इसका परिणाम होता है कि उस वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है, और इसे “आपूर्ति की लोच” कहा जाता है। इसके बराबर, यदि आपूर्ति अधिक है और मांग कम है, तो वह वस्तु की कीमत में कमी होती है, जिसे “मांग की लोच” कहा जाता है।
लोच की अधिक और कम अवस्थाएँ:
यदि लोच इकाई लोच से अधिक है, तो यह इकाई लोच से अधिशेष लोच होती है, जिससे हम जान सकते हैं कि आपूर्ति अधिशेष है और वस्तु या सेवा बाजार में पूर्ण रूप से उपलब्ध है। उसके बावजूद, यदि लोच इकाई लोच से कम है, तो हम कह सकते हैं कि इस स्थिति में इकाई लोच से अधिशेष लोच नहीं है, और इससे मांग की कमी का सुझाव हो सकता है।
पूर्ति की लोच और अर्थव्यवस्था:
पूर्ति की लोच वित्तीय नीतियों, व्यापारी निर्णयों, और अर्थव्यवस्था के सामाजिक पहलुओं को समझने में मदद करती है। यह व्यापारी और निर्माण क्षेत्रों में निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण टूल है जो विभिन्न घटकों का मूल्यांकन करने में मदद करता है, जिससे वे सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
इस प्रकार, पूर्ति की लोच एक बाजार या अर्थव्यवस्था की स्वस्थता और संतुलन का मूल्यांकन करने का महत्वपूर्ण और उपयोगी उपकरण है। यह न केवल विभिन्न उद्यमों के लिए बल्कि समृद्धि और समरसता के लिए भी
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