पुनर्जागरण युरोप के इतिहास में ही नहीं बल्कि विश्व के इतिहास की युगान्तरकारी घटना है। युरोप में पुनर्जागरण ने आधुनिक युग आरम्भ किया। यूरोपवासियों को वैज्ञानिक अनुसन्धानों ने असाधारण रूप से शक्तिशाली बना दिया। आर्थिक तथा व्यापार सम्बन्धी नवधारणाओं ने भौतिकवादी तथा पूँजीवादी युग को आरम्भ किया। इन्हीं कारणों से यूरोप ने विश्व के विभिन्न भागों पर आगामी तीन शताब्दियों में अधिकार स्थापित कर लिया।
वैज्ञानिक क्षेत्र में पुनर्जागरण ने महत्वपूर्ण कार्य किया। प्रकृति पर मानव विजय आरम्भ हुई। उसने प्राकृतिक स्रोतों तथा शक्तियों को नियोजित करके मानव की शक्ति में वृद्धि की। मानव-जीवन को रोगों से मुक्त करने की प्रक्रिया स्वास्थ्य सम्बन्धी खोजों ने आरम्भ की। इन्हीं वैज्ञानिक खोजों के कारण पुनर्जागरण को वैज्ञानिक क्रान्ति का युग भी कहा जाता है। खगोलशास्त्र, गणित, भौतिकी, रसायन, जैविकी आदि क्षेत्रों में आश्चर्यजनक आविष्कार हुए जिनसे मानव ज्ञान तथा उसके भौतिक जीवन में असाधारण रूप से वृद्धि हुई। कापरनिक्स, गैलीलियो, देकार्ते, हार्वे, न्यूटन इस युग के जगमगाते वैज्ञानिक सितारे हैं। मनुष्य ने न केवल पृथ्वी का बल्कि अन्तरिक्ष तथा नक्षत्रों के बारे में नवीन ज्ञान अर्जित करने में सफलता प्राप्त की लेकिन पुनर्जागरण का अन्धकारपूर्ण पक्ष भी था। यूरोपीय राष्ट्रों के मध्य राष्ट्रीयता की भावना ने संघर्षों को जन्म दिया क्योकि प्रत्येक राष्ट्र अपनी शक्ति तथा प्रभुसत्ता का विस्तार करना चाहता था। उपनिवेशवाद ने साम्राज्यवाद को जन्म दिया जिससे मानव शोषण आरम्भ हुआ और विश्व के अधिकांश भाग को युरोपवासियों ने अपना गुलाम बना लिया। यूरोपवासियों को विज्ञान ने शक्ति प्रदान की लेकिन साथ में विध्वंसक शक्ति भी प्रदान की जिससे युद्ध अधिक विनाशकारी होते गये। मानव जीवन को मानववाद ने महत्व प्रदान किया लेकिन इससे व्यक्तिवाद के नाम पर उच्छंखलता तथा अनैतिकता का प्रसार हुआ। धार्मिक स्वतन्त्रता की अवधारणा पुनर्जागरण ने विकसित की थी जिससे पोप की सत्ता दुर्बल हुई। पोप की सत्ता ने ही मध्यकाल में यूरोप को शान्ति और एकता प्रदान की थी लेकिन उसके स्थान पर किसी ऐसी संस्था का विकास नहीं किया गया जो यूरोप में एकता रखने में सफल होती। संघर्षों को राष्ट्रीयता की उग्र भावना ने जन्म दिया।
इन दोषों के होते हए भी पुनर्जागरण ने मानवीय सभ्यता तथा प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सभी विद्वान मानते हैं कि पुनर्जागरण से ही आधुनिक युग आरम्भ होता है।