परमाणु त्रिज्या किसे कहते है

परमाणु त्रिज्या का शाब्दिक तात्पर्य परमाणु आकार से है।

अधातुओं में परमाणु त्रिज्या सहसंयोजक त्रिज्या (co valent radius) कहलाती है।

इसे निम्नवत् परिभाषित किया जाता है- “एक अणु में समान तत्व के सहसंयोजी रूप से बन्धित दो परमाणुओं के मध्य की दूरी का आधा परमाणु त्रिज्या  या सहसंयोजक त्रिज्या कहलाती है। ”

उदाहरणार्थ – अधातु, जैसे – क्लोरीन में परमाणु त्रिज्या वास्तव में सहसंयोजक त्रिज्या होती है तथा क्लोरीन अणु (CI) के दो परमाणुओं की बन्ध लम्बाई की आधी होती है।

Cl, अणु में बन्ध लम्बाई = 198pm परमाण्विक तथा सहसंयोजक त्रिज्या 198/2= 99 pm धातुओं में परमाणु त्रिज्या धात्विक त्रिज्या (metallic radius) कहलाती है।

यह धात्विक क्रिस्टल में धात्विक आयनों के मध्य की अन्तरानाभिकीय दूरी की आधी होती है। उदाहरणार्थ – ठोस कॉपर में समीपस्थ कॉपर परमाणुओं के मध्य दूरी 256 pm होती है, अत: कॉपर की धात्विक त्रिज्या 256/2 = 128 pm होगी।

परमाणु त्रिज्या ‘नैनोमीटरों’ (nanometres) (जो लम्बाई मापने का अत्यधिक छोटा मात्रक है) में मापी जाती है। नैनोमीटर (nanometre) का प्रतीक nm है।

परमाणु त्रिज्या के मापन (नैनोमीटरों) हेतु एंगस्ट्रॉम (A) मात्रक का प्रयोग किया जाता है।

परमाणु त्रिज्या को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Atomic Radius)

1. किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन कक्षाओं के बढ़ने पर परमाणु त्रिज्या भी बढ़ती है।

2. परमाणु त्रिज्या, नाभिकीय आवेश के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

परमाणु त्रिज्या ∝ 1/नाभिकीय आवेश

3. परमाणु त्रिज्या रक्षण प्रभाव के अनुसार बदलती है रक्षण प्रभाव ज्यादा होगा तो परमाणु त्रिज्या भी ज्यादा होती है।

4. विद्युत संयोजक यौगिकों में परमाणु त्रिज्या कम होती है।

5. जैसे बन्ध कोटि बढ़ती हैं परमाणु त्रिज्या कम होती है।

 

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