जब कोई भी संस्था या व्यक्ति किसी फर्म, कम्पनी या व्यक्ति से कोई माल खरीदना चाहता है तो ऐसी स्थिति में क्रेता पक्ष विक्रेता से निविदा आमन्चित करता है।
जिस मुल्य पर विक्रेता माल की पूर्ति करने को तैयार होता है, उसे सामान्यत: निविदा कहा जाता है।
निविदा को अनुमानित मूल्य भी कहा जाता है क्योंकि निविदा का निर्धारण करते समय वर्तमान को ध्यान में रखकर भविष्य के लिए मूल्य ज्ञात किया जाता है।
निविदा निर्धारण में वस्तु पर आयी लागत तथा भविष्य में लागत के विभिन्न तत्वों में होने वाले परिवर्तनों को समाहित किया जाता है।
निविदा की गणना पिछली अवधि के लागत पत्र को आधार मानकर तथा लागत के विभिन्न मदों में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों को ध्यान में रखकर की जाती है।
निविदा मूल्य निर्धारण में निम्नलिखित व्ययों को सम्मिलित किया जाता है :
(1) प्रत्युक्त सामग्री की लागत,
(2) प्रत्यक्ष श्रम तथा प्रत्यक्ष व्यय,
(3) कारखाना उपरिव्यय,
(4) कार्यालय तथा प्रशासन उपरिव्यय,
(5) बिक्री एवं वितरण उपरिव्यय,
(6) अनुमानित लाभ।