दबाव समूह का अर्थ ‘दबाव समूह’ को विभिन्न नामों से सम्बोधित किया गया है। हित समूह, गैर-सरकारी संगठन, लॉबीज, अनौपचारिक संगठन, गुट इत्यादि शब्दों का प्रयोग दबाव गुटों के लिए किया जाता रहा है। दबाव समूह नहीं होते और न हित समूह और दबाव समूह समान ही है। प्रत्येक देश और समाज में सैकड़ों हित समूह होते हैं, किंतु जब वे सत्ता को प्रभावित करने के इरादे से राजनीतिक दृष्टि से सक्रिय हो जाते हैं तो ‘दबाव समूह’ बन जाते हैं। व्यक्तियों के ऐसे समूहों को दबाव समूह कहा जाता है जो किसी कार्यक्रम के आधार पर निर्वाचकों को प्रभावित नहीं करते, लेकिन जिनका सम्बंध विशेष मामलों से होता है। ये राजनीतिक संगठन नहीं होते, न ही चुनावों में अपने प्रत्याशी खड़ा करते हैं।
वस्तुतः दबाव समूह ऐसा माध्यम है जिनके द्वारा सामान्य हित वाले व्यक्ति सार्वजनिक मामलों को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं। इस अर्थ में ऐसा कोई भी सामाजिक समूह जो प्रशासकीय और संसदीय दोनों ही प्रकार के पदाधिकारियों को सरकार पर नियंत्रण प्राप्त करने हेतु कोई प्रयत्न किये बिना ही प्रभावित करना चाहते हैं, तो दबाव गुट की श्रेणी में आयेंगे। दबाव समूहों की तुलना ‘अज्ञात साम्राज्य’ से की जाती है। जब इनके हित संकट में होते हैं अथवा जब इन्हें कतिपय स्वार्थों की प्राप्ति करनी होती है तो ये सक्रिय बन जाते हैं। अन्यथा वे हित समूहों के रूप में निष्क्रिय ही बने रहते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि दबाव समूह के लक्षण निम्न हैं-
1. ये राजनीतिक संगठन नहीं होते और न ही ये चुनाव में भाग लेते हैं। दबाव समूहों का संबंध विशिष्ट मसलों से होता है।
2. 3. दबाव समूह अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नीति-निर्माताओं को प्रभावित करते हैं।
4. दबाव समूह को अज्ञात साम्राज्य कहा गया है। जब उनके हित खतरे में होते हैं तो वे सक्रिय हो जाते हैं।
दबाव समूहों का महत्त्व
दबाव समूहों का महत्व व्यापक बनता जा रहा है। ये समूह प्रशासन को जन-इच्छा के अनुकूल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। दबाव समूह का महत्व निम्न कारणों से हैं-
1. 2. ये सरकार की निरंकुशता को सीमित करते हैं। शासन को प्रभावित करने वाले संगठन के रूप में दबाव समूहों का अस्तित्व उभर कर आया है।
3. शासन के लिए गैर-सरकारी स्रोत के रूप में सूचनाएं एकत्रित करने वाले संगठनों के रूप में दबाव समूह का महत्व है।
4. जनतांत्रिक प्रक्रिया की अभिव्यक्ति के साधन के रूप में दबाव समूह कार्य करते हैं।
5. 6. ये समूह, नागरिक और सरकार के मध्य संचार साधन का कार्य करते हैं। समाज और शासन में संतुलन स्थापित करने का कार्य दबाव समूह करते हैं।
7. दबाव समूह विधि-निर्माण में विधायकों की सहायता करते हैं। अपनी विशेषज्ञता तथा ज्ञानगुरुता के कारण ये विधि-निर्माता समितियों के सदस्यों को आवश्यक परामर्श देते हैं। इनका परामर्श और सहायता दोनों ही इतनी उपयोगी होती है कि इन्हें विधानमंडल के पीछे का विधानमंडल कहा जाने लगा है।
वस्तुतः दबाव समूह लोकतंत्रात्मक व्यवस्था का दूसरा नाम है। निरंकुश तंत्र में भी इनका अभाव नहीं होता। भारत में दबाव समूहों के उद्भव के प्रमुख कारण है- लोक कल्याणकारी राज्य का सिद्धांत, आर्थिक क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप की नीतियां और व्यक्तिवाद से समाजवाद की तरफ बढ़ता हुआ झुकाव |
भारतीय राजनीति में दबाव समूह :-
भारत में अमेरिका की भांति दबाव समूह विकसित नहीं हो पाये हैं यद्यपि कतिपय व्यावसायिक संगठन दबाव समूहों के रूप में सक्रिय अवश्य हैं। किंतु, अन्य समुदायों के दबाव समूह मध्यवर्गीय नेतृत्व के कारण सक्रिय रूप से राजनीतिक प्रक्रिया में निर्णयों को आधुनिक ढंग से प्रभावित नहीं कर पा रहे हैं। आर्थिक विपन्नता के कारण दबाव समूहों की मांग तथा शासकीय सामर्थ्य के मध्य एक बड़ा अंतर भारत में दर्शनीय है। सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के चलन, राजनीतिक अधिकारों की वृद्धि जनता को प्राप्त विशेषाधिकारों एवं आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में नियोजित कार्यक्रमों के विस्तार के कारण भारत की राजनीतिक संरचना में संगठित दबाव व हित समूहों का विस्तार होता जा रहा है।