गुप्त काल के विज्ञान और प्रौद्योगिकी – गुप्तकालीन गणितज्ञ आर्यभट्ट (376-500 ई.) दशमलव पद्धति से परिचित थे। ये पटना के रहने वाले थे। इन्होंने सर्वप्रथम बताया कि पृथ्वी गोल है। पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है। ग्रहणों का कारण पृथ्वी और चन्द्रमा की बदलती परिस्थितियाँ हैं। आर्यभट्ट ने आर्यभट्टनीय ग्रन्थ लिखा। उन्हें क्षेत्रमिति, ज्यामिति एवं त्रिकोणमिति का जन्मदाता माना जाता है।
बराहमिहिर भी गुप्तकाल के महान खगोलशास्त्री थे। इन्होंने वृहत् संहिता लिखी। इन्होंने बताया कि चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है। बराहमिहिर मगध निवासी थे मगर बाद में उज्जैन आ गये थे।
चन्द्रगुप्त द्वितीय के काल में धन्वन्तरि महान वैद्य थे। मेहरौली का लौह स्तम्भ धातुकला विज्ञान की प्रगति का प्रमाण है। यह 24 फुट ऊँचा है जिसका घेरा 16.4 इंच है एवं इसका भार लगभग 6 टन है। आज तक इसमें जंग नहीं लगी है।