कविता लेखन के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं:
(i) भाषा- कविता के निर्माण में भाषा का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है, अतः कवि कर्म करने वालों में भाषा का संपूर्ण ज्ञान होना
आवश्यक है। भाषा ज्ञान के आभाव में कोई भी शब्द अर्थ का अनर्थ कर देगा।
(ii) शब्द विन्यास- शब्दों के विन्यास से वाक्य बनता है। कविता की भाषा तत्कालीन समय में प्रचलित एवं सरल होनी चाहिए पर
शब्द विन्यास संरचना ऐसी हो कि वह पाठक या श्रोता को नई प्रतीत हो।
(iii) शैली- वाक्य गठन की विशिष्ठ प्रणालियों को शैली कहते हैं। विभिन्न काव्य शैलियों का ज्ञान कविता लेखन में सहायक होता है।
किसी भी रचना में संकेतों की अहम भूमिका होती है। यहाँ तक कि दो काव्य पंक्तियों के मध्य रिक्त स्थान भी कुछ-न-कुछ कहता है।
(iv) छंद की संपूर्ण जानकारी- एक कवि का छंद से अनुशासित होना अत्यंत आवश्यक है। छंद की जानकारी के बिना कविता के
आंतरिक लय का निर्वाह संभव नहीं है। ]
कविता की रचना छंद युक्त और छंद मुक्त दोनों में होती है। छंदोबद्ध अथवा मुक्त छंद किसी भी प्रकार की रचना करने के लिए छंद की बुनियादी जानकारी अत्यंत आवश्यक है।
(v) समाज में प्रचलित प्रवृत्तियों का ज्ञान- कविता समय विशेष की उपज होती है। कविता का स्वरूप समय के साथ-साथ बदलता
रहता है। अतः समाज में प्रचलित समय विशेष की प्रचलित प्रवृत्तियों की पूर्ण जानकारी कवितस लोक में प्रवेश के लिए अति आवश्यक है।
(vi) गागर में सागर भरने की प्रवृत्ति– गागर में सागर भरना अर्थात् कम शब्दों में अधिक और गूढ बातें कहने का गुण कवि कर्म
करने वालों में होना आवश्यक है।
(vii) नवीनतम दृष्टिकोण- कवि के पास कविता रचने के लिए चीज़ों को नवीन दृष्टि से देखने, पहचानने और प्रस्तुत करने की कला
की जरूरत होती है। इसके बिना कविता लेखन संभव नहीं है।