“उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ मधुर चाँदनी रातों की ” पंक्ति में कवि इस कथन के माध्यम से यह कहना चाहता है कि अपनी पत्नी या प्रियसी के साथ बिताए गए मधुर-मिलन के पल व्यक्तिगत होते हैं। उन्हें किसी के समक्ष व्यक्त नहीं किया जा सकता । दुःखों के जाल के बीच में सुखों के कुछ पल मेरे जीवन के आधार हैं। मैं आत्मकथा लिखकर अपने सुखद क्षणों को सार्वजनिक नहीं कर सकता।