डॉ. आबेडकर ने वर्ण व्यवस्था तथा जातिप्रथा का गभीरता से अध्ययन किया था। उन्होंने गांधी से कहा भी कि “हमें मंदिर-प्रवेश के आंदोलन में हिस्सा लेने के बजाय चातुर्वर्ण्य को समाप्त करने पर जोर देना आवश्यक लगता है। चातुर्वर्ण्य समाप्त हो जाएगा तो अस्पृश्यता अपने आप खत्म हो जाएगी। परंतु सिर्फ अस्पृश्यता को मिटाने का प्रयत्न करेंगे तो चातुर्वर्ण्य व्यवस्था ज्यों-की-त्यों रहेगी। हमारी राय में अस्पृश्यता चातुर्वर्ण्य का एक अंग है। मूल पर कुठाराघात ही सुधार का सही मार्ग है।”
डॉ. आंबेडकर जाति-पाँत तोड़ने को सर्वोच्च प्राथमिकता देते थे। इस लक्ष्य को पूरा करने में उनको अंग्रेज सरकार से सहयोग लेने में कोई हिचक नहीं थी। वे स्वराज्य प्राप्त करने के लिए कांग्रेस के उतावलेपन और भारत को स्वतंत्र करने की अंग्रेजों की अनिच्छा का लाभ उठाकर ‘अपने लोगों’ का भविष्य सँवारने के लिए, स्वतंत्र भारत में उनके सामाजिक-राजनीतिक अधिकार सुरक्षित कर लेना चाहते थे। गांधी से पूरी तरह उलटी थी आंबेडकर के मानस की बुनावट। वे विद्वान् भी थे और कर्मठ राजनीतिज्ञ भी। उनकी वैचारिकता पर विज्ञाननिष्ठा, आधुनिक सामाजिक चिंतन और पश्चिमी राजनीतिक-आर्थिक अवधारणाओं की गहरी छाप थी। उनका मानना था कि किसी भी प्रकार की सामाजिक क्रांति के लिए सुस्पष्ट विचारधारा जरूरी है। उन्होंने लिखा भी कि “मैं राजनीति का, समाज-कार्य में होते हुए भी, आजीवन विद्यार्थी हूँ।” अध्ययनशील आंबेडकर ने हिंदू समाज-व्यवस्था के दोष बताने और उसमें अंतर्निहित अमानुषिकता को उजागर करने के लिए आधुनिक सामाजिक शास्त्रों का अध्ययन किया और इसके साथ ही प्राचीन हिंदू धर्मशास्त्रों को भी बारीकी से पढ़ा।
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सम्पूर्ण विश्व में समाज सुधार का कार्य तेजी से आरम्भ हो गया। उस समय बम्बई (मुम्बई) विधानसभा में अछूतों के हितों से सम्बन्धित कई प्रस्ताव पारित हुए। इन प्रस्तावों में अछूत जाति के लिए प्राइमरी स्कूलों की स्थापना, महारों के गांव में पर्याप्त मात्रा में पीने योग्य पानी की व्यवस्था और अनुसूचित जाति की लड़कियों के लिए अलग से छात्रावास की व्यवस्था करना आदि बातें पेश की गई थीं। इन सभी प्रस्तावों में जो सबसे जबरदस्त प्रस्ताव स्वीकृत हुआ वह था- ‘पानी की व्यवस्था’।
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The introduction of High Yielding Varieties (HYV) of seeds and the increased use of fertilisers, pesticides and irrigation facilities are…
Yes, we agree with the above statement that the traditional handicrafts industries were ruined under the British rule. The following…
India was under British rule for almost two centuries before attaining Independence in 1947. The main focus of the economic…