Categories: इतिहास

असहयोग आंदोलन क्या है समझाइये।

असहयोग आंदोलन: एक नए भारत की उत्थान की कहानी

भारतीय इतिहास में महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुआ असहयोग आंदोलन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया थी जो अंग्रेज शासन के खिलाफ एक सशक्त राष्ट्र की ओर कदम बढ़ाई।

असहयोग आंदोलन का परिचय

महात्मा गांधी ने 1 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन का आयोजन किया था, जिसका मुख्य उद्देश्य था भारतीय जनता को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट करना। इस आंदोलन में गांधीजी ने अपने अनुयायियों से आंदोलन में सक्रिय भाग लेने की अपील की, और इसमें विभिन्न वर्गों और समृद्धि से विभिन्न राज्यों के लोगों का समर्थन मिला।

गांधीजी के विचार

असहयोग आंदोलन के संदर्भ में महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक “हिंद स्वराज” में यह कहा कि सत्याग्रह के माध्यम से भारत अपनी स्वतंत्रता की ओर बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि असहयोग आंदोलन एक ऐसा माध्यम है जिससे हम ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं और एक सशक्त राष्ट्र की नींव रख सकते हैं।

आंदोलन की विशेषताएँ

असहयोग आंदोलन की एक अद्भुत विशेषता थी कि यह पूरी तरह से अहिंसक था। गांधीजी ने स्पष्ट रूप से यहां तक कहा कि हमें अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार के हिंसात्मक साधनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

नेतृत्व का महत्व

इस आंदोलन में नेतृत्व का बड़ा महत्व था, और गांधीजी के अलावा भी कई महत्वपूर्ण नेता इसमें शामिल थे। एक ऐसा महान नेता था मोतीलाल नेहरू, जो न केवल एक राजनेता बल्कि एक मानवतावादी भी थे। उन्होंने अपने योगदान से भारत को एक आधुनिक लोकतंत्र में परिणामस्वरूप बदल दिया।

आंदोलन के प्रभाव

असहयोग आंदोलन ने भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का निर्माण किया। सरकारी उपाधियों, सिविल सेवा पदों, सेना, पुलिस, अदालतों, विधान परिषदों, स्कूलों, और विदेशी सामानों के खिलाफ आंदोलन ने समाज में एक नई ऊर्जा भर दी। इसके परिणामस्वरूप विदेशी सामानों का बहिष्कार हुआ, शराब की दुकानें बंद की गईं, और विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई।

आंदोलन का विस्तार

असहयोग आंदोलन का प्रभाव बहुत विस्तारपूर्ण रूप से महसूस हुआ, और इसने भारतीय राजनीति और समाज को परिवर्तित करने में अहम भूमिका निभाई। यह आंदोलन न केवल एक सामाजिक बदलाव लाने में सफल रहा, बल्कि यह भारत की स्वतंत्रता संग्राम की ओर पहला कदम भी था।

आधुनिक भारत में प्रभाव

असहयोग आंदोलन का प्रभाव आधुनिक भारत में भी महसूस होता है। इसने एक सशक्त राष्ट्र की नींव रखी और उसे एक नए दिशा में बढ़ने का अवसर दिया। गांधीजी के दृढ़ नेतृत्व की बदौलत यह आंदोलन एक नए भारत की नींव रखने में सफल रहा।

असहयोग आंदोलन ने भारतीय समाज को एक नए दृष्टिकोण से जगाया और उसे स्वतंत्रता की ओर एक कदम और बढ़ने का साहस दिखाया। इसने सिर्फ एक राष्ट्र को ही नहीं, बल्कि एक विचारशील और सकारात्मक समाज की भावना को भी जागरूक किया।

JAI YADAV

Recent Posts

Explain with examples the various types of industries

Industry refers to economic activities, which are connected with conversion of resources into useful goods. Industry is concerned with the…

2 days ago

Explain the characteristics of business

Business refers to any occupation in which people regularly engage in an activity with an objective of earning profit. The…

2 days ago

What are the fundamental economic problems of economics?

According to Prof. Samuelson, every economy has three basic problems of resource allocation: (a) What to produce and how much…

6 days ago

What is Green Revolution? Why was it implemented and how did it benefit the farmers? Explain in brief.

The introduction of High Yielding Varieties (HYV) of seeds and the increased use of fertilisers, pesticides and irrigation facilities are…

6 days ago

The traditional handicrafts industries were ruined under the British rule. Do you agree with this view? Give reasons in support of your answer.

Yes, we agree with the above statement that the traditional handicrafts industries were ruined under the British rule. The following…

7 days ago

What was the focus of the economic policies pursued by the colonial government in India? What were the impacts of these policies?

India was under British rule for almost two centuries before attaining Independence in 1947. The main focus of the economic…

7 days ago