उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप निर्मित हानिकारक एवं अवशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं|
जिन अंगों द्वारा शरीर के बेकार पदार्थ का निष्कासन होता है, उनको उत्सर्जी अंग कहते हैं|
सभी उत्सर्जी अंग मिलकर उत्सर्जन तंत्र का निर्माण करते हैं|
मनुष्य में निम्नलिखित अंग मिलकर उत्सर्जन तंत्र का निर्माण करते हैं-
(1) वृक्क (2) मूत्रवाहिनी (3) मूत्राशय (4) मूत्रमार्ग
उत्सर्जन क्रिया का एक प्रमख अंग वृक्क या गुर्दा है, हमारे शरीर में दो वृक्क होते हैं| प्रत्येक वृक्क सेम के बीज के आकार का होता है| मनुष्य के वृक्क की लम्बाई लगभग 10.2 सेमी और मोटाई 2.5 सेमी होती है वृक्क का रंग बैंगनी होता है वृक्क में रक्त से उत्सर्जी पदार्थों का फिल्टर होता है एवं एक पीला जलीय पदार्थ बनता है जिसे मूत्र कहते हैं|
प्रत्येक वृक्क के इसी दबे हए भाग से एक नलिका निकलती है, जिसे मूत्रनली या मूत्रवाहिनी कहा जाता है|
दोनों ओर की मूत्रनली मूत्राशय (यूरिनरी ब्लैडर) में खुलती है |
मूत्राशय मूत्रमार्ग के द्वारा शरीर के बाहर खुलता है. मूत्रमत्राशय में एकत्र होता रहता है और जहाँ से मूत्रछिद्र होकर समय-समय पर बाहर निकल जाता है.