patanjali yog darshan ke anusar yog ke kitne ang hai ?

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    pinku
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        pinku
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          पतंजलि योग दर्शन के अनुसार योग के आठ अंग हैं ।

          महर्षि पतंजलि ने योग को आठ भागों में बांटा है , जिसे अष्‍टांग योग कहते हैं  ।

          महर्षि पतंजलि को योग गूरू या जनक माना गया है , उन्होंने योग सूत्र की रचना की।

          पतंजलि के अनुसार, योग मन की वृत्तियों को बेचैन होने से रोकने के लिए है। अर्थात योग मन को स्थिर और शांत रखना है।

          लगभग 200 ई .पू. में महर्षि पतंजलि ने योग को लिखित रूप में संग्रहित किया और योग-सूत्र की रचना की।

          योग-सूत्र की रचना के कारण पतंजलि को योग का पिता कहा जाता है। उन्होंने योग के आठ अंग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि का वर्णन किया है| यही अष्टांग योग है|

          महर्षि पतंजलि ने योग को आठ भागों (नियमों) में बांटा है जिसे अष्टांग योग कहते हैं। 

          यम : इसमें सत्य व अहिंसा का पालन करना, चोरी न करना, ब्रह्मचर्या का पालन व ज्यादा चीजों को इकटा करने से बचना शामिल है।

           नियम : ईश्वर की उपासना, स्वाध्याय, तप, संतोष और शौच महत्वपूर्ण माने गए हैं। 

          आसन : स्थिर की अवस्था में बैठकर सुख की अनुभूति करने को आसन कहते हैं।

           प्राणायाम : सांस की गति को धीरे-धीरे वश में करना प्राणायाम कहलाता है।

           प्रत्याहार : इन्द्रियों को बाहरी विषयों से हटाकर आंतरिक विषयों में लगाने को प्रत्याहार कहते हैं। 

          धारणा : संसार की हर वस्तु को समान समझना धारणा कहलाता है। 

          ध्यान : मन की एकाग्रता। 

          समाधि : इस दौरान न व्यक्तिदेखता है, न सूंघता है, न सुनता है व न स्पर्श करता है।

          अष्टांग योग के फायदे – 

          1. मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

          2.  शरीर की रोगों से लड़ने की ताकत में इजाफा होता है। जिससे आप बार-बार बीमार नहीं पड़ते।

          3. नर्वस सिस्टम में सुधार होता है।

          4. योग से मस्तिष्क शांत होता है जिससे तनाव कम होकर ब्लड प्रेशर, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल में कमी आती है।

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