Lord Dalhousie ki Samajik Niti ka varnan kijiye

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      Quizzer Jivtara
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        भारत में ब्रिटिश सरकार की सामा जिक नीति का निर्धारण साम्राज्यवाद की आवश्यकता और हितों के द्वारा निर्धारित होता रहा. किसी भी सामाजिक नीति का निर्धारण साम्राज्यवादी विचारधाराओं के पोषक के रूप में किया गया. यही ब्रिटिश सरकार का लक्ष्य था और इसी को पुष्ट करने हेतु सारे प्रयास किए गए. वाणिज्यिक साम्राज्यवाद के दौर में शासक वर्ग को इसकी चिन्ता नहीं थी कि भारतीय समाज अच्छा है या बुरा उनको केवल इसकी चिन्ता थी कि व्यापार के माध्यम से अधिक से अधिक धन कैसे अर्जित किया जाए अतः उन्होंने इस दौर में सामाजिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की नीति अपनाई औद्योगिक पूँजीवादी साम्राज्यवाद के दौर में अर्थात् 19वीं सदी के प्रथम अर्द्धभाग में साम्राज्यवाद ने कई कारणों से सामाजिक जीवन में हस्तक्षेप करना जरूरी समझा राजनीतिक दासता को सामाजिक सांस्कृतिक दासता की स्थापना के द्वारा पुष्ट करना आवश्यक था. प्रशासन को जनता के साथ घनिष्ठ रूप से जोड़ने के फलस्वरूप सामाजिक जीवन पर भी उसका प्रभाव पड़ना था. शरीर से भारतीय, किन्तु दिल और दिमाग से पाश्चात्य लोगों को तैयार करना था. अतः इस दौर में सामाजिक जीवन में सक्रिय, किन्तु सीमित हस्तक्षेप की नीति का पालन किया गया. इस काल के सामाजिक सुधार इस नीति के परिणाम थे|

        लॉर्ड डलहौजी की सामाजिक नीति –

        1) 26 जुलाई, 1856 को लॉर्ड डलहौजी की सरकार ने रेग्यूलेशन 15 के द्वारा विधवा विवाह को कानूनी स्वीकृति दी तथा ऐसे विवाह से उत्पन्न सन्तान को कानूनी सन्तान के सभी अधिकार प्राप्त हो गये |

        2) उड़ीसा के पहाड़ी क्षेत्रों तथा मद्रास प्रेसीडेंसी के कुछ भागों में खोंड जनजाति के प्रचलित नरबलि प्रथा का ज्ञान 19वीं शताब्दी के चौथे दशक में हुआ. डलहौजी के शासनकाल में इस प्रथा पर रोक लगाने के सरकारी प्रयासों में तेजी लाई गई तथा 1856 ई. तक इसे समाप्त करने में सरकार को सफलता मिल गई |

        3) शिशु वध की कुप्रथा की तरफ शासन का ध्यान 18वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में ही चला गया था. 1795 में बंगाल नियम XXI तथा 1804 में नियम 3 के द्वारा शिशु हत्या को साधारण हत्या के अपराध के रूप में माना गया |

        4) उत्तरी पश्चिमी प्रान्त तथा पंजाब में बालिका वध की कुप्रथा के विरुद्ध सरकारी अभियान का नेतृत्व 19वीं शताब्दी के मध्य में मैनपुरी के मजिस्ट्रेट चार्ल्स रेक्स के द्वारा किया गया. इस प्रथा के विरुद्ध जनमत बनाने के लिए आगरा डिवीजन के कमिश्नर टाइलर ने राजपूत सरदारों की एक सभा का आयोजन दिसम्बर 1851 में किया. पंजाब के अधिकारियों ने अमृतसर में एक तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन अमृतसर में किया. सभा में बाल वध के अपराधी को पकड़वाने तथा इस कृत्य का समर्थन करने वालों का बहिष्कार करने का संकल्प लिया गया|

        5) डलहौजी के शासनकाल में ही 1850 का जातीय वैकल्य निराकरण नियम (Emanicipation Act) पारित करके धर्म परिवर्तन करने वाले हिन्दू की पैतृक सम्पत्ति में अधिकार को मान्यता प्रदान कर दी गई |

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