विशुद्ध प्रतियोगिता से क्या अभिप्राय है

विशुद्ध प्रतियोगिता को दूसरे शब्दों में ‘परमाणु वादी प्रतियोगिता’ के नाम से भी जाना जाता है। वास्तव में पूर्ण प्रतियोगिता एक विस्तृत विचार है जबकि विशुद्ध प्रतियोगिता से अभिप्राय  एक संकुचित विचार है। विशुद्ध प्रतियोगिता में पूर्ण प्रतियोगिता की केवल प्रथम तीन विशेषताएँ ही पायी जाती हैं
(1) क्रेताओं और विक्रेताओं का बाजार में बड़ी संख्या में होना ।
(2) समस्त बाजार में एकसमान वस्तु का विनिमय होना ।
(3) फर्मों को बाजार में प्रवेश करने तथा बहिर्गमन की पूर्ण स्वतन्त्रता होना । हमारी दृष्टि से इन दोनों ही प्रतियोगिताओं में कोई आधारभूत अन्तर न होकर केवल ‘मात्रा’ का अन्तर है क्योंकि दोनों के अन्तर्गत सभी फर्मों का व्यवहार एकसमान होता है और उनके लिए वस्तु की माँग भी पूर्णतया लोचदार होती है।