निवेश किसे कहते हैं

निवेश का अर्थ (Meaning of Investment)

परन्तु सर्वप्रथम प्रश्न यह है कि निवेश किसे कहते हैं। आमतौर पर जब कोई व्यक्ति कम्पनियों के शेयर अथवा बाँड खरीदता है या सरकार की प्रतिभूतियों में अपना रुपया लगाता है तो कहा जाता है कि वह अपने रुपये का निवेश करता है, परन्तु यह वास्तविक निवेश (real investment) नहीं है। इसे तो वित्तीय निवेश (financial investment) कहते हैं।सामान्यतः जब एक व्यक्ति शेयर खरीदता है और कोई दूसरा उसे बेचता है, तो इसके परिणामस्वरूप देश की वास्तविक पूँजी में कोई वृद्धि नहीं होती ।

अर्थशास्त्र में इसलिए वास्तविक निवेश उसे कहते हैं जिससे वास्तविक पूँजी में वृद्धि हो। अर्थात् अर्थशास्त्र में निवेश का अर्थ होता है पूँजीगत पदार्थों जैसा कि मशीनें, उपकरण, औजार, निमार्ण कार्य जैसे कि मकान, दुकान और फैक्ट्रियों की इमारतें आदि तथा सार्वजनिक निर्माण कार्य जैसे कि नहरें, सड़कें, पुल और बाँधों में वृद्धि को ही अर्थशास्त्र में निवेश कहा जाता है। इस सभी प्रकार की पूँजी से आगे चलकर देश के उत्पादन में वृद्धि होती है। केन्ज़ ने और उसके बाद के अर्थशास्त्रियों ने उपभोक्ता पदार्थों के भंडारों में वृद्धि (increase in the inventories of consumer goods) को भी देश की पूँजी में सम्मिलित किया है और इस प्रकार की पूँजी को तरल पूंजी (liquid capital) कहा जाता है।

निवेश अथवा विनियोजन के मुख्य दो प्रकार हैं- (1) स्वायत्त निवेश तथा (2) प्रेरित निवेश ।

(1) स्वायत्त निवेश (Autonomous Investment) – स्वायत्त निवेश का अभिप्राय उस निवेश से है जो आय के स्तर से स्वतन्त्र तथा आय – बेलोच (Income Inelastic) होता है। स्वायत्त निवेश आय के स्तर से प्रभावित न होकर किन्हीं और तत्वों; जैसे- जनसंख्या, श्रम शक्ति, नये अनुसन्धान तथा आविष्कार, नवप्रवर्तन, मौसम, युद्ध, क्रान्ति इत्यादि अन्य कारणों से प्रभावित होता है। सरकार अथवा निजी क्षेत्र द्वारा सामाजिक उपरिव्ययों (Social Overheads) पर किया गया व्यय उदाहरणार्थ सड़कों, नहरों, बाँधों, स्कूलों, चिकित्सालयों, भवनों आदि परियोजनाओं पर किया गया व्यय स्वायत्त निवेश कहा जाता है।

(2) प्रेरित निवेश (Induced Investment) – प्रेरित निवेश का अभिप्राय उस निवेश से है जो लाभ तथा आय के स्तर से प्रभावित होता है ( Induced Investment is Income and Profit Motivated)। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि प्रेरित निवेश आय तथा लाभ का फलन है (Induced Investment is function of income and profit) । प्रेरित निवेश लाभ को प्रभावित करने वाले तत्वों – ब्याज दर, मजदूरी तथा कीमतों में परिवर्तन पर निर्भर करता है। उसी प्रकार माँग मात्रा भी प्रेरित निवेश को प्रभावित करती है। जब आय बढ़ने पर माँग बढ़ती है तो बढ़ी हुई माँग को पूरा करने के लिये अतिरिक्त उत्पादन की क्षमता के अभाव में निवेश बढ़ाना पड़ता है।

इसके आलावा अन्य कुछ और प्रकार निम्न है :-

सार्वजनिक निवेश (Public Investment) – आधुनिक युग में सरकारें आर्थिक क्षेत्र में काफी निवेश करती हैं, अत: सरकारों अथवा सरकारी संस्थाओं द्वारा अर्थव्यवस्था में किये गये निवेश को सार्वजनिक निवेश कहा जाता है। ये सार्वजनिक निवेश सड़कों, नहरों, स्कूलों, अस्पतालों, सार्वजनिक क्षेत्र के भवनों, उत्पादक उपक्रमों, रेलों, जन सुविधाओं और कई अन्य विकास कार्यों पर किये जाते हैं। सार्वजनिक निवेश प्राय: सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से प्रेरित होते हैं पर कभी-कभी लाभ कमाने के उद्देश्य से भी सार्वजनिक निवेश किये जाते हैं। सार्वजनिक निवेश स्वायत्त निवेश भी हो सकते हैं अथवा प्रेरित निवेश के रूप में भी।

निजी निवेश (Private Investment) – निजी व्यक्तियों, व्यावसायिक फर्मों अथवा व्यक्तिगत संस्थाओं द्वारा किया गया निवेश निजी निवेश कहलाता है। निजी निवेश लाभ की प्रत्याशाओं (Expectations of Profits) पर निर्भर करता है। चूँकि अर्थव्यवस्था में लाभ की प्रत्याशा प्राय: (i) ब्याज की दर तथा (ii) पूँजी की सीमान्त उत्पादकता जैसे तत्वों पर निर्भर है अत: निजी निवेश तब बढ़ेगा जब ब्याज की दर नीची तथा पूँजी की सीमान्त उत्पादकता ऊँची होगी। निजी निवेश प्रेरित निवेश (Induced Investment) की श्रेणी में आता है।

ऐच्छिक अथवा योजनाबद्ध निवेश (Intended or Planned Investment) – ऐच्छिक अथवा योजनाबद्ध निवेश का अभिप्राय किसी विशिष्ट उद्देश्य से प्रेरित होकर किये गये योजनाबद्ध निवेश से है। भावी माँग में वृद्धि अथवा भावी कीमतों में वृद्धि की प्रत्याशा में ऊँचा लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से किया गया उत्पादन क्षमता विस्तार में निवेश अथवा उत्पादन लागतें घटाने तथा लाभ अर्जन क्षमता बढ़ाने और सुनिश्चित नीति के अन्तर्गत किया गया निवेश ऐच्छिक अथवा योजनाबद्ध निवेश कहा जाता है। यह सरकारी क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र दोनों में हो सकता है।

अनैच्छिक अथवा अनियोजित निवेश (Unintended or Unplanned Investment)- अनैच्छिक अथवा अनियोजित निवेश का अभिप्राय बिना सोचे-समझे किये अनियोजित निवेश से है जो बिना किसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए अनियोजित ढंग से किया जाता है कभी-कभी माँग में अप्रत्याशित कमी के कारण अथवा बाजार अवरोधों ( हड़ताल – बन्द, युद्ध, प्रतिबन्ध आदि) के कारण माल का अनावश्यक स्टॉक जमा हो जाता है तो इसे भी अनैच्छिक अथवा अनियोजित निवेश कहा जाता है।

सकल निवेश तथा विशुद्ध निवेश (Gross Investment and Net Investment ) – किसी देश में एक निश्चित अवधि में किये गये समस्त पूँजीगत व्यय के जोड़ को सकल निवेश (Gross Invest- ment) कहा जाता है, जो प्राय: वर्ष के दौरान कुल पूँजीगत परिसम्पत्तियों में हुई कुल वृद्धि के बराबर होता है। जब सकल निवेश में से वार्षिक मूल्य ह्रास (Annual Depreciation) तथा अप्रचलन प्रभार (Obsolation Charges ) को घटा दिया जाये तो जो शेष बचता है वह शुद्ध निवेश (Net Investment) का सूचक है अर्थात् विशुद्ध निवेश = सकल निवेश मूल्य ह्रास तथा अप्रचलन प्रभार। यह देश में वर्ष के दौरान पूँजीगत स्टॉक में हुई विशुद्ध वृद्धि का द्योतक है।