‘हीराकुन्ड बाँध’ का निर्माण सन् 1948 में शुरू हुआ और यह 1953 में बनकर पूर्ण हुआ।
वर्ष 1957 में यह बाँध पूरी तरह काम करने लगा।
हीराकुण्ड परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है।
इस परियोजना के अंतर्गत उड़ीसा राज्य में संबलपुर जिले से 15 किमी. दूर महानदी पर हीराकुण्ड बाँध बनाया गया है।
यह परियोजना राउरकेला स्टील प्लांट को विद्युत प्रदान करती है।
छत्तीसगढ़ के सिहावा पहाडी से उद्गमित 858 कि.मी. लंबी महानदी का औसत पानी प्रवाह 2119 घनमीटर प्रति सेकेंड और इसका बेसिन क्षेत्र 1,41,600 वर्ग कि.मी. है। इसी नदी पर ओडिशा के संबलपुर जिले से 15 कि.मी. दूर संसार का सबसे लंबा बांध हीराकुंड निर्मित है जिसके मुख्य खंड की लंबाई 4.8 कि.मी. और तटबंध सहित बांध की लंबाई 25.8 कि.मी. तथा उंचाई 60,95 मीटर है।इसके जलाषय की तटरेखा639 कि.मी. लम्बी है।
इस परियोजना के दो अन्य बांध नाराज और टीकरपाडा है। यह परियोजना बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई विद्युत उत्पादन के साथ औद्योगिक विकास को भी व्यापक आधार प्रदान करती है।
हीराकुंड बांध के पीछे 55 कि.मी. लंबा एक विस्तृत हीराकुंड जलाशय है जिसका जलग्रहण क्षेत्र 83400 वर्ग कि.मी. और कुल क्षमता 58960 लाख घनमीटर है। यह 133090 वर्ग कि.मी. का क्षेत्र अपवाहित करता है जो श्रीलंका के क्षेत्र के दो गुना से अधिक है और इससे 75 लाख हेक्टे. भूमि की सिंचाई की जाती है। इस सिंचाई सुविधा की सुलभता के कारण संबलपुर को ओडिसा का चावल का कटोरा कहा जाता है। इस परियोजना से खरीफ में 1.56 लाख हेक्टे. और रबी में 1.08 लाख हेक्टे. भूमि की सिंचाई की जाती है। इसके अलावा, बांध के विद्युत प्लांटों से निर्गत पानी से 4.36 लाख हेक्टे. कृषि भूमि की सिंचाई होती है।