जब एक वस्तु को दूसरे सतह पर चलाने का प्रयत्न करते हैं परन्तु फिर भी वह वस्तु विराम अवस्था में रहती है तो दोनों वस्तुओं की सम्पर्क सतहों के बीच जो घर्षण बल कार्य करता है, उसे स्थैतिक घर्षण कहते हैं।
किसी वस्तु पर थोड़ा बाह्य बल आरोपित करने पर स्थैतिक घर्षण के कारण वस्तु में गति उत्पन्न नहीं होती। जैसे-जैसे बाह्य बल बढ़ाते जाते हैं, स्थैतिक घर्षण बल भी बढ़ता जाता है तथा सीमान्त घर्षण की स्थिति तक अर्थात् सीमान्त घर्षण के अधिकतम मान तक स्थैतिक घर्षण बल वस्तु पर आरोपित बाह्य बल के बराबर होता जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि स्थैतिक घर्षण बल स्वतः समायोज्य बल है। आरोपित बल का मान सीमान्त बल से थोड़ा भी बढ़ जाने पर वस्तु में बल की दिशा में त्वरित गति उत्पन्न हो जाती है, परन्तु इस दशा में वस्तु में गति आरम्भ हो जाने पर वस्तु तथा तल के बीच कार्य करने वाला घर्षण बल (गतिक घर्षण बल) सीमान्त घर्षण बल से कुछ कम होता है तथा यह लगभग नियत रहता है।