सेवा सदन मुंशी प्रेमचन्द द्वारा रचित एक उपन्यास है |
इसमें मुख्य नारी पात्र सुमन है जिस पर उपन्यास लिखा गया है इसके अलावा अन्य नारी पात्र भोली बाई , सुभद्रा , और शांता है |भोली बाई एक वैश्या है जो की दूसरी मुख्य नारी पात्र है, सुभद्रा सुमन की सहेली है व शांता उसकी बहन है |
यह उपन्यास हर एक पीढ़ी के लोगो को जोड़ के रखती है |
यह उपन्यास एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसे वक्त हालत ने वैश्या बना दिया, एक ऐसे ईमानदार दरोगे की कहानी है जिसे दहेज़ प्रथा ने घुसखोर बना दिया | यह उपन्यास समाज की वर्तमान की परिस्थियों पर कटाक्ष है चाहे दहेज प्रथा, भष्टाचार या फिर भारतीय नारियों की विवश स्थिति तथा उन्हें एक गुलाम समझने वाली समाज की सोच पर |किस प्रकार समाज के प्रतिष्ठित लोग वैश्या के पास तो जाते है पर उनको समाज में हीन भावनाओ से देखा जाता है इसको भी प्रेमचंद जी ने इस उपन्यास में सामने लेन का प्रयास किया है |