मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा में पकी हुई ईंटों का प्रयोग प्रायः मकानों के निर्माण के लिए किया गया है।
प्रत्येक आवासीय भवन के बीच में एक आंगन होता था, जिसके तीन या चारों ओर चार-पांच कमरे, एक रसोईघर और एक स्नानागार बना होता था।
मोहनजोदड़ो के दुर्ग के दक्षिणी भाग में 750 वर्ग मीटर आकार के एक विशाल सभाभवन की रूपरेखा मिली है, जिसकी छत 20 स्तंभों पर टिकी हुई थी।
यद्यपि कहीं-कहीं कच्ची ईंटों का भी प्रयोग किया गया है, जैसे- कालीबंगा।
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