सांख्यिकी की सार्वभौमिक उपयोगिता है स्पष्ट कीजिए

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      Quizzer Jivtara
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        सांख्यिकी की सार्वभौमिक उपयोगिता है —

        वर्तमान युग सांख्यिकी का युग है। मानवीय क्रियाओं के प्रत्येक क्षेत्र में समंक उपयोगी सहयोग प्रदान करते हैं।

        क्राक्सटन एवं काउडेन  के शब्दों में “वर्तमान में मानवीय क्रियाओं का कोई भी ऐसा पहलू नहीं है जिसमें सांख्यिकीय विधियाँ किसी-न-किसी रूप में उपयोगी न हों।”

        अध्ययन के प्रत्येक क्षेत्र में सांख्यिकी की भूमिका है। चाहे अर्थशास्त्र हो, समाजशास्त्र हो, कृषिशास्त्र हो या चिकित्साशास्त्र, भौतिकशास्त्र हो या भूगर्भशास्त्र, प्रत्येक विषय का उच्च ज्ञान प्राप्त करने के लिए सांख्यिकीय रीतियों की जानकारी आवश्यक है।

        टिप्पेट के अनुसार “सांख्यिकी प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करती है और जीवन के अनेक बिन्दुओं को स्पर्श करती है।”

        सांख्यिकी का महत्व :- सांख्यिकी के महत्व को दो भागो में बांटा गया है

        1) अर्थशास्त्र में महत्व

        2) अन्य क्षेत्रों में महत्व

        1) अर्थशास्त्र में महत्व:- अर्थशास्त्र की विभिन्न शाखाओं में सांख्यिकी का महत्व निम्नवत् है :
        1. उपभोग के क्षेत्र में (In Consumption)—उपभोग के आँकड़ों द्वारा विभिन्न आय वर्ग और उनके उपभोग व्यय के द्वारा औसत और सीमान्त उपभोग की प्रकृति का अनुमान लगाया जा सकता है। ‘माँग का नियम’ और ‘माँग की लोच’ भी सांख्यिकी पर निर्भर हैं।
        2. उत्पादन के क्षेत्र में (In Production) उत्पादन के समंक माँग एवं पूर्ति में समायोजन करने में सहायता पहँचाते हैं। उत्पादन के समंक कुल उत्पादिता और साधनों की सीमान्त उत्पादकता का बोध कराते हैं। यही नहीं, आज विश्व के प्रत्येक प्रगतिशील राष्ट्र में उत्पादन की गणना के आँकड़े प्रकाशित किए जाते हैं जिनके आधार पर राष्ट्रीय आय का आंकलन किया जाता है।
        3. विनिमय के क्षेत्र में (In Exchange)-विनिमय के क्षेत्र में समंकों के माध्यम से कीमत निर्धारण के नियम, लागत मूल्य, आयात-
        निर्यात, देश के भुगतान सन्तुलन आदि का विश्लेषण किया जाता है। ___4. वितरण के क्षेत्र में (In Distribution)—समंकों की सहायता से राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है। उत्पादन के विभिन्न साधनों के बीच राष्ट्रीय आय का वितरण किस प्रकार होता है, इसको ज्ञात करने में सांख्यिकी सहायता करती है।
        5. राजस्व के क्षेत्र में (In Public Finance)-राज्य की आय और व्यय के विवरण को प्रदर्शित करने वाले पत्र को बजट कहते हैं। बजट सांख्यिकीय पत्र है। सरकार की कर-नीति, राजकोषीय नीति, घाटे की वित्त व्यवस्था, कर-देय क्षमता के निर्धारण आदि सभी सांख्यिकीय तथ्यों पर आधारित हैं।

        2) अन्य क्षेत्रों में महत्व :- 

        1. व्यापार, उद्योग व वाणिज्य में सांख्यिकी का महत्व वर्तमान में व्यापार, उद्योग एवं वाणिज्य में सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग अपरिहार्य बन चुका है। इन क्षेत्रों की समस्याओं को हल करने के लिए सांख्यिकीय उपकरणों (Tools) एवं विधियों का प्रयोग अत्यन्त आवश्यक हो गया है।

        2. आर्थिक नियोजन के क्षेत्र में सांख्यिकी का महत्व आर्थिक नियोजन का आधार समंक हैं। शुद्ध व पर्याप्त आँकड़ों के अभाव में सुव्यवस्थित योजना बनाना असम्भव है। आर्थिक नियोजन में सांख्यिकी के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा जा सकता है कि “समंकों के बिना आर्थिक आयोजन पतवार तथा दिशा-सूचक यन्त्र रहित जहाज की तरह है।” (Planning without Statistics is a ship without rudder and compass)
        3. शासन प्रबन्ध में महत्व—प्राचीन काल से ही शासन प्रबन्ध में सांख्यिकी का प्रयोग होता रहा है। पूर्व काल में राजा-महाराजाओं की आय एवं व्यय का ब्यौरा समंकों में ही व्यक्त किया जाता था। आधुनिक समय में भी सांख्यिकी शासन प्रबन्ध में केन्द्रीय स्थान रखती है। सांख्यिकी का वर्तमान के शासन प्रबन्ध में उपयोग दर्शाने वाले प्रमख बिन्द्र निम्न हैं:
        1. देश की जनसंख्या सम्बन्धी सूचनाओं के प्रदर्शन में

        2. देश की राष्ट्रीय आय सम्बन्धी विविध घटकों के आंकलन में,

        3 . बजट बनाने में.

        4. कर नीति निर्धारित करने में

        5. बैंकिंग प्रणाली के संचालन में

        6. आयात-निर्यात की संरचना, दिशा आदि के आंकलन में।

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