यह वर्णिक छंद है ।
इसमें पद के चारों चरणों के तुकांत एक होते हैं ।
२२ से लेकर २६ तक इसमें वर्णवृत्त होते हैं।
सवैया हिन्दी का प्रिय छन्द रहा है ।
सवैया के अनेक प्रकार होते हैं- मदिरा, हंसी, मत्तगयंद, अद्रक, चकोर, मतिप्रिया, दुर्मिल, गंगोदक, तन्वी, मकरन्द, मुक्तहारा या मोतियादाम, भुजंग, उर्मिल, अंगार, सुन्दरी, लवंगलता अथवा विजया, क्रौंच, अरविन्द, मदन मनोहर, किशोर, भुजंग, विचम्भित तथा मिश्रित सवैये आदि |
उदाहरण:- “बिथुरै घनी धारै परी छिति पैं, तिन्हें देखति हूँ नँहि ए कछु भीती। उत स्यामैं लगी जक दौंहन की, इत राधिका मानौं चितेरन-चीती।। ‘द्विजदेव’ नये नये नेह के फन्द, तिन्हैं धारी चारक यों ही बितीती। हरि हारे जऊ दुही गाइ तऊ, रही मौहनी के कर दौंहनी रीति।।”