संघीय व्यवस्था काफी पुरानी है। इसमें केन्द्रीय व प्रान्तीय सरकारों को समान समझा जाता है। अतः प्रान्तों या राज्यों की सरकारों को अधीनस्थ सरकारें नहीं समझा जा सकता।
लेकिन अब राज्य का कार्यक्षेत्र बढ़ने तथा सुरक्षा की नयी समस्याओं के पैदा होने के कारण कुछ नयी प्रवृत्तियाँ उभरी हैं। केन्द्र ने अपनी शक्तियों को बहुत बढ़ा लिया है जिससे राज्यों की स्वायत्तता घटी है।
केन्द्र राज्यों के क्षेत्र में हस्तक्षेप कर सकता है। विकास सम्बन्धी कार्यों को चलाने के लिए राज्यों की सरकारें केन्द्र की वित्तीय सहायता पर आश्रित हो गई हैं।