‘चीफ़ की दावत’ भीष्म साहनी की मार्मिक कहानी है जो यह निरूपित करती है कि उच्च पदों पर पहुँचे व्यक्ति किस प्रकार अपने माता-पिता को तिरस्कृत करते हैं और उन्हें व्यक्ति न समझकर वस्तु मानने लगते हैं।
कभी-कभी तो वे अपने स्तर को बनाये रखने के लिए इस सीमा तक गिर जाते हैं कि अपनी माँ को फालतू कहने में भी उन्हें संकोच नहीं होता।
यह कहानी किसी एक व्यक्ति की नहीं अपितु पूरे वर्ग की पोल खोलती है और यह सन्देश देती है कि हमें अपने माता-पिता की भावनाओं की हर हाल में कद्र करनी चाहिए। माता-पिता के प्रति पुत्र को कर्तव्य पालन के लिए प्रकारान्तर से इसमें सन्देश दिया गया है