लेखक ने वैदिक काल में हिंदुओं में प्रचलित विवाह प्रणाली का जिक्र किया है। वैदिक काल में विवाह के लिए कन्या का चयन करने की एक विचित्र प्रणाली थी। वर स्नातक तक विद्या का अध्ययन कर कन्या के घर कुछ ढेले लेकर आता था। ये ढेले विभिन्न स्थानों की मिट्टियों से बने होते थे। ढेलों की संख्या सात, इससे अधिक या कम हो सकती थी । वर द्वारा लाए गए ढेले गोशाला की मिट्टी, वेदि की मिट्टी, खेत की मिट्टी तथा मसान की मिट्टी इत्यादि से बने होते थे। वर को प्रत्येक ढेले की मिट्टी के स्थान का पता होता था, किंतु कन्या के लिए यह एक पहेली की तरह होता था। कन्या को इन मिट्टी के ढेलों में से एक ढेले का चयन करना होता था। मिट्टी के ढेलों के चयन के आधार पर वर कन्या को अपनी वधू बनाने का निर्णय लेता था। मसान की मिट्टी से बने ढेले को उठाना ‘अशुभ’ माना जाता था । वर ऐसी कन्या से विवाह नहीं कर सकता था। इस प्रकार वैदिक काल में वर-वधू का विवाह होना ढेले चुनने की लॉटरी पर निर्भर करता था।