विस्थापन अभिक्रिया किसे कहते है

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      विस्थापन अभिक्रिया – विस्थापन अभिक्रियाएँ वे अभिक्रियाएँ जिनमें एक तत्व, यौगिक में दूसरे तत्व का स्थान ले लेता है, विस्थापन अभिक्रियाएँ कही जाती हैं। सामान्यत: अधिक क्रियाशील तत्व, कम क्रियाशील तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित करता है।

      यह विधि इस तथ्य पर आधारित हैं। कि सक्रियता श्रेणी में उपर स्थित धातु अपने से नीचे स्थित धातुओं को उनके लवण विलयन में से विस्थापित कर देती हैं अयस्क का विलयन बनाकर उसमें निष्कर्षण की जाने वाली धातु से अधिक विद्युत धनात्मक धातु डालने पर पूर्व धातु अवक्षेपित हो जाती है।

      कॉपर के कम प्रतिशत वाले अयस्क का सल्पयूरिक अम्ल या जल में प्रक्षालन कर कॉपर सल्फेट बनाकर उसके जलीय घोल में कॉपर से अधिक विद्युत धनात्मक धातु का चूर्ण डालने पर कॉपर अवक्षेपित हो जाता है।

      कुछ प्रमुख विस्थापन अभिक्रियाओं के उदाहरणों को नीचे दिया गया है।

      उदाहरण 1. जब जिंक धातु की पट्टी को कॉपर सल्फेट विलयन में रखा जाता है, तो जिंक सल्फेट विलयन और कॉपर प्राप्त होते हैं :

      CuSO4 (aq) + Zn (s) → ZnSO4 (aq) + Cu (s)

      इस अभिक्रिया में, जिंक कॉपर सल्फेट योगिक से कॉपर को विस्थापित करता है जिससे कॉपर विमक्त होता है। कॉपर सल्फेट विलयन का नीला रंग जिंक सल्फेट (जो रंगहीन होता है) बनने के कारण लुप्त हो जाता है। कॉपर धातु का लाल भूरा निक्षेप जिंक पट्टी पर जमा हो जाता है।

      यह विस्थापन अभिक्रिया होती है क्योंकि कॉपर से जिंक अधिक क्रियाशील होता है।

      उदाहरण 2. जब मैग्नीशियम धातु के टुकड़े को कॉपर सल्फेट विलयन में रखा जाता है, तो मैग्नीशियम सल्फेट विलयन और कॉपर धात बनते हैं :

      CuSO4 (aq) + Mg(s) → MgSO4 (aq) + Cu (s)

      इस अभिक्रिया में, मैग्नीशियम कॉपर सल्फेट विलयन से कॉपर को विस्थापित करता है। कॉपर सल्फेट विलयन का नीला रंग, मैग्नीशियम सल्फेट का रंगहीन विलयन के कारण लुप्त हो जाता है। मैग्नीशियम के टुकड़े के ऊपर लाल-भूरा कॉपर धातु जमा हो जाता है। यहाँ, मैग्नीशियम कॉपर सल्फेट विलयन से कॉपर को विस्थापित करने की क्षमता रखता है क्योंकि कॉपर से मैग्नीशियम अधिक क्रियाशील होता है।

      उदाहरण 3. जब लेड धातु की चिप को कॉपर क्लोराइड के विलयन में रखा जाता है, तो लेड क्लोराइड विलयन और कॉपर धातु बनते हैं :

      CuCl, (aq) + Pb (s) → PbCl2 (aq) + Cu (s)

      इस केस में, लेड कॉपर क्लोराइड विलयन से कॉपर को विस्थापित करता है। कॉपर क्लोराइड विलयन का हरा रंग, लेड क्लोराइड का रंगहीन विलयन बनने के कारण लुप्त हो जाता है। लेड की चिप पर कॉपर धातु की लाल-भूरी परत जम जाती है। कृपया नोट करें कि लेड कॉपर सल्फेट विलयन से कॉपर को विस्थापित करने की क्षमता रखता है

      क्योंकि कॉपर से लेड अधिक क्रियाशील होता है। एक और बात नोट करने की है कि इस अभिक्रिया में प्रयुक्त कॉपर क्लोराइड (CuC1) वस्तुतः, कॉपर क्लोराइड होता है।

      उदाहरण 4 जब कॉपर की पत्ती को सिल्वर नाइट्रेट के विलयन में रखा जाता है, तो कॉपर नाइट्रेट विलयन और सिल्वर धातु बनते हैं :

      2AgNO3 (aq) + Cu (s) → Cu(NO3)2 (aq) + 2Ag (s)

      इस केस में, सिल्वर नाइट्रेट यौगिक से कॉपर, सिल्वर को विस्थापित करता है। यह विस्थापन अभिक्रिया होती है क्योंकि सिल्वर से कॉपर अधिक क्रियाशील है। कॉपर की पत्ती पर सिल्वर की एक चमकदार परत जम जाती है और कॉपर नाइट्रेट बनने के कारण विलयन का रंग नीला हो जाता है।

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