जब कोई किसी के प्रेम में डूब जाता है, उसे किसी बात की सुध-बुध नहीं रहती तो उसे बावरा कहा जाता है।
उसी प्रकार मीरा अपनी सुध-बुध खोकर, लोक लाज, परिवार की मर्यादा त्याग कर कृष्ण-प्रेम में इतनी डूब गई हैं कि पाँव में घुघरू बाँधकर कृष्ण के सम्मुख नाचती रहती हैं।
वह साधुओं की संगति में बैठकर श्रीकृष्ण की भक्ति की बातें करने में आनन्द का अनुभव करती है। उसने अपना तन-मन श्रीकृष्ण को अर्पित कर दिया है।
इसी दीवानगी के कारण लोगों ने उन्हें ‘बावरी‘ कहा है।