रेखीय संवेग संरक्षण का नियम को समझाइये

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      jivtaraankit
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        रेखीय संवेग संरक्षण का नियम – पिण्डों के किसी बन्द निकाय (सिस्टम) पर कोई वाह्य बल न लगाया जाय तो उस निकाय का कुल संवेग नियत बना रहता है। इस नियम का एक परिणाम यह है कि वस्तुओं के किसी भी निकाय का द्रव्‍यमान केंद्र एक नियत वेग से चलता रहेगा जब तक उस पर कोई वाह्य बल न लगाया जाय।

        किसी निकाय का रेखीय संवेग का मान सभी कणों के अलग अलग संवेगों के योग के बराबर होता है और रेखीय संवेग के संरक्षण के नियम के अनुसार कुल संवेग का मान नियत (K) होता है –

        PI + P2 + P3 + P4 + .. + P = K

        यहाँ p1, p2 ,p3 ……. क्रमशः सभी कणों के रेखीय संवेग का मान है। चूँकि p = mv यदि निकाय में उपस्थित कणों का द्रव्यमान क्रमशः m1, m2 , m3……mn हो तथा इनका वेग क्रमशः v1,v2 , v3…..vn हो तो रेखीय संवेग को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है –

        P = pi + p2 + p3 + …+ Px

        =mvi +m2v2 +m3v3 + … +mmm

        रेखीय संवेग  : किसी वस्तु का संवेग वस्तु के द्रव्यमान और उसके वेग के गुणनफल के बराबर होता है। इसे से प्रदर्शित करते है।

        यदि वस्तु का द्रव्यमान -m 

        वेग- v , हो

        तब कण का संवेग

        संवेग = द्रव्यमान x वेग

         p = mv

        यह एक सदिश राशि है जिसकी दिशा, वेग की दिशा में होती है। इसका SI मात्रक -किग्रा-मीटर/सेकंड है।

        इसे न्यूटन-सेकंड भी कह सकते हैं।

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