राम नरेश त्रिपाठी हिंदी भाषा के पूर्व छायावादी युग के साहित्यकार माने जाते है
राम नरेश त्रिपाठी जी का जन्म 4 मार्च 1889 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हुआ था और उनकी मृत्यु 16 जनवरी 1962 को हुई।
इन्होंने अनेक कविताएं, कहानियां, उपन्यास, जीवनी, संस्मरणों आदि कृतियों की रचनाएं की हैं।
इनकी 4 काव्य-कृतियाँ मुख्य रूप से उल्लेखनीय हैं
1.मिलन 2.पथिक 3.मानसी 4.स्वप्न
इन्होंने अपने जीवनकाल में लगभग 100 पुस्तकें लिखी
1918 से 1936 के समय में हिंदी भाषा में अनेक गुणों का समावेश हुआ छायावादी युग कहा गया
साहित्य के क्षेत्र में प्राय: एक नियम देखा जाता है कि पूर्ववर्ती युग के अभावों को दूर करने के लिए परवर्ती युग का जन्म होता है।
छायावाद के मूल में भी यही नियम काम कर रहा है
आधुनिक काल के छायावाद का निर्माण भारतीय और यूरोपिय भावनाओं के मेल से हुआ है,
क्योंकि उसमें एक ओर तो सर्वत्र एक ही आत्मा के दर्शन की भारतीय भावना है और दूसरी ओर उस बाहरी स्थूल जगत के प्रति विद्रोह है,
जो पश्चिमी विज्ञान की प्रगति के कारण अशांत एवं दु:खी है।